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________________ अलंकार ग्रन्थों में प्राकृत पद्यों की सूची ७६९ जौ के खेत में खूब अच्छी फसल हुई है इसलिये गृहपति की पुत्री चंचल हो उठी है। अब गायें खेत में बिना किसी रोक-टोक के चर सकेंगी। लोओ जूरइ जूरउ वअणिज्ज होइ, होउ तं णाम । एहि ! णिमजसु पासे पुप्फवह! ण एइ मे निहा॥ (स०के०५, १६७, गा०स०६, २९) लोगों को बुरा लगता हो तो लगे, यह निन्ध हो तो हो, हे पुष्पवती! आकर मेरे पास सो जा, मुझे नींद नहीं आ रही है।' वइविवरणिग्गअदलो एरण्डो साहइब्व तरुणाणम् । एत्थ घरे हलिअवहू एइहमेत्तत्थी वसइ ॥ (स.६०३, १६६, गा०स०३, ५७) बाड़ के छिद्र में से जिसके पत्ते बाहर निकल रहे हैं ऐसा एरण्ड का वृक्ष तरुण जनों को घोषित कर कह रहा है कि इन पत्रों की भाँति विशाल स्तनवाली हलवाहे की वधू इस घर में वास करती है । ( अभिनय अलङ्कार का उदाहरण) वच्च महं चिअ एकाए होंतु नीसासरोइअव्वाई। मा तुज्झ वि तीए विणा दक्खिण्णहयस्स जायंतु ॥ काव्या० पृ०५६, २३, ध्वन्या०१पृ०२१) हे प्रिय ! तुम उसके पास जाओ। मैं अकेली तुम्हारे विरह में श्वास छोड़ती हुई अश्रुपात करूँ यह अच्छा है, लेकिन उसके विरह में तुम्हारे दाक्षिण्य का नष्ट होना ठीक नहीं । (विध्याभास अलङ्कार का उदाहरण) वणराइकेसहत्था कुसुमाउहसुरहिसंचरन्तघअवडा । ससिअरमहत्तमेहा तमपडिहत्था विणेत्ति धूमुप्पीडा॥ (स०के०४,४२) वनपंक्ति के केशकलाप, कामदेव की सुगंधित चंचल ध्वजा का पट, चन्द्रमा की किरणों को मुहूर्त भर के लिये आच्छादित करनेवाला मेघ तथा अंधकार के प्रतिनिधि की भाँति धूमसमूह शोभायमान हो रहा है। (रूपक अलंकार का उदाहरण) वण्णसि एव विअत्थसि सञ्चं विअ सो तुए ण संभविओ। ण हु होन्ति तम्मि दिटे सुत्थावत्थाई अंगाई ॥ (गा० स०५, ७८; काव्या०, पृ०३९०, ५६२) केवल उसके गुण सुन कर उसके वश में हो जाने वाली ! तूने उसे देखा है, इसकी तू व्यर्थ ही शेखी मारती है। यदि तूने उसे सचमुच देखा होता तो तेरा शरीर स्वस्थ रहने वाला नहीं था। ( अनुमान अलंकार का उदाहरण) १. मिलाइये-सोएवा पर वारिआ पुष्फबईहिं समाणु । जग्गे वा पुणु को धरइ जइ सो वेउ पमाणु ।। (हेमचन्द्र, प्राकृतव्याकरण ८, ४, ४३८) -पुष्पवतियों के साथ सोना मना है, लेकिन उनके साथ जागने को कौन रोकता है, यदि वेद प्रमाण है। ४९ प्रा० सा०
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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