SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 624
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भास के नाटक ने अनेक नाटकों की रचना की।' इन नाटकों में अविमारक और चारुदत्त नाम के नाटक प्राकृत भाषा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। अविमारक में छह अङ्क हैं जिनमें अविमारक और उसके मामा की कन्या कुरङ्गी की प्रेम-कथा का वर्णन है, अन्त में दोनों का विवाह हो जाता है। चारुदत्त नाटक में चार अङ्क हैं इनमें चारुदत्त और वसन्तसेना के प्रेम का मार्मिक चित्रण है। भास के सभी नाटकों में खासकर पद्यभाग में शौरसेनी की प्रधानता है, मागधी के रूप भी यहाँ मिलते हैं। दूतवाक्य नाटक में स्त्री पात्रों की भाँति प्राकृत भाषा का भी अभाव है। अविमारक में शौरसेनी भाषा में विदूषक की उक्ति देखिये अहो णअरस्स सोहासंपदि । अत्थं आसादिदो भअवं सुय्यो दीसइ दहिपिंडपंडरेसु पासादेसु अग्गापणालिन्देसु पसारिअगुलमहुरसंगदो विअ । गणिआजणो णाअरिजणो अ अण्णोण्णविसेदमंडिदा अत्ताणं दंसइदुकामा तेसु तेसु पासादेसु सविब्भमं संचरंति । अहं तु तादिसाणि पेक्खिअ उम्मादिअमाणस्स तत्तहोदो रत्तिसहाओ होमि त्ति णअरादो णिग्गदो म्हि । सो वि दाव अम्हाअं अधण्णदाए केणवि अणत्थसंचिन्तणेण अण्णादिसो विअ संबुत्तो । एवं तत्तहोदो आवासगिहं । अज्ज णअरापणालिन्दे सुणामि तत्तहोदो गिहादो णिग्गदा राअदारिआए धत्ती सही अत्ति । किं णु खु एत्थ कय्यं । अहव हत्थिहत्थचंचलाणि पुरुसभग्गाणि होन्ति । अहव गच्छदु अणत्थो अम्हाअं| अवस्थासदिसं राअउलं पविसामि (अविमारक २)। -इस समय नगर की शोभा कितनी सुंदर है ! भगवान् सूर्य अस्ताचल को पहुँच गये हैं जिससे दधिपिण्ड के समान १. पूना ओरिएन्टल सीरीज़ में सी० आर देवधर ने भासनाटकचक्र के अन्तर्गत स्वप्नवासवदत्ता, प्रतिज्ञायौगन्धरायण, अविमारक, चारुदत्त, प्रतिमा, अभिषेकनाटक, पञ्चरात्र, मध्यमव्यायोग, दूतवाक्य, दूतघटोत्कच, कर्णभार, उरुभङ्ग और बालचरित नामक १३ नाटकों का सन् १९३७ में सम्पादन किया है।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy