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________________ ४५५ कालिकायरियकहाणय उत्तर-मलयमरुतः (मल, यम् , अरुतः, मलयमरुतः) पाप को कौन पूछता है ? (मल), विरति में कौन सी धातु है ? ( यम् ), कृतक पक्षी कैसा होता है ? (अरुतः अर्थात् शब्द रहित), विरहिणी के हृदय को कौन उत्कंठित करता है ? (मलय का वायु)। प्रश्न-(२) के मणहरं पि पुरिसं लहुइंति ? विणासई य ___ को जीवं ? उल्लसियपहाजालो को वा नंदेइ घूयकुलं? उत्तर-दोषाकरः (दोषाः, गरं दोषाकरः) -सुन्दर पुरुष को भी कौन छोटा बना देता है ? (दोष), जीव का नाश कौन करता है (गर=विष), उल्लुओं को कौन आनन्द देता है ? ( दोषाकर= चन्द्रमा)। प्रश्न-(३) किं संखा पंडुसुया ? नमणे सहेण य को ? कहं बंभो । __ संबोहिज्जइ ? को भूसुओ य ? को पवयणपहाणो ? उत्तर-पंचनमोकारो (पंच, नमो, हे क !, आरो, पंचनमोकारो) ___-पांडुपुत्रों की कितनी संख्या है ? (पंच=पाँच ), नमन में कौन सा शब्द है (नमो अव्यय), ब्रह्म को कैसे संबोधन किया जाता है ? (हे क ! हे ब्रह्मन्) भू का पुत्र कौन है ? (आर=मंगलग्रह), प्रवचन में सब से मुख्य क्या है ? (पंचनमोकार नामक मंत्र)। ___ मेघश्रेष्ठिकानक में १५ कर्मादानों का वर्णन है । प्रभाचन्द्रकथानक में अपभ्रंश में युद्ध का वर्णन है। कालिकायरियकहाणय (कालिकाचार्यकथानक) कालिकाचार्य के संबंध में प्राकृत और संस्कृत में अनेक कथानक लिखे गये हैं। प्राकृतकथानक-लेखकों में देवचन्द्रसूरि, मलधारी हेमचन्द्र, भद्रेश्वरसूरि, धर्मघोषसूरि, भावदेवसूरि,
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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