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________________ ४४६ प्राकृत साहित्य का इतिहास -दिन के आठवें भाग में जब सूर्य मन्द पड़ जाये तो उसे रात्रि समझना चाहिये। रात्रि में भोजन करना वर्जित है। चण्डचूडाख्यान गद्य में है। राजहंस-आख्यान में कवडिजक्ख का उल्लेख है। राजहंस-आख्यान में उज्जैनी नगरी के महाकाल मंदिर का उल्लेख है। मिथ्यादुष्कृतदानफलाधिकार में आपक, चंडरुद्र, प्रसन्नचन्द्र, तथा विनयफलवर्णनअधिकार में चित्रप्रिय और वनवासि यक्ष के आख्यान हैं। प्रवचनोन्नतिअधिकार में विष्णुकुमार, वैरस्वामी, सिद्धसेन, मल्लवादी समित और आर्यखपुट नामक आख्यान दिये हैं । सिद्धसेन-आख्यान में अवन्ती के कुडंगेसरदेव के मठ का उल्लेख है | आर्यखपुटआख्यान में बडडकर यक्ष और चामुण्डा का नाम आता है। जिनधर्माराधनोपदेश अधिकार में योत्कारमित्र, नरजन्मरक्षाधिकार में वणिकपुत्रत्रय, तथा उत्तमजनसंसर्गिगुणवर्णन-अधिकार में प्रभाकर, वरशुक और कंबल-सबल के अख्यान हैं। प्रभाकर अख्यान में धन-अर्जन को मुख्य बताया हैवुभुक्षितैाकरणं न भुज्यते पिपासितैः काव्यरसो न पीयते । न च्छन्दसा केनचिदुद्धृतं कुलं हिरण्यमेवार्जय निष्फलाः कलाः॥' -भूखे लोगों के द्वारा व्याकरण का भक्षण नहीं किया जाता, प्यासों के द्वारा काव्यरस का पान नहीं किया जाता, छन्द से कुल का उद्धार नहीं किया जाता, अतएव हिरण्य का ही उपार्जन करो, क्योंकि उसके बिना समस्त कलायें निष्फल हैं। इन्द्रियवशवर्तिप्राणिदुखवर्णन के अधिकार में उपकोशा के घर आये हुये तपस्वी, भद्र, नृपसुत, नारद और सुकुमालिका के आख्यान हैं। व्यसनशतजनकयुवतीअविश्वासवर्णन-अधिकार १. यह श्लोक क्षेमेन्द्र की औचित्यविचारचर्चा (काव्यमाला प्रथम गुच्छक (पृ० १५०) में माघ के नाम से दिया है लेकिन माघ के शिशुपालवध में यह नहीं मिलता।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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