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________________ आख्यानमणिकोश ४४७ में नूपुर पंडित, दत्तकदुहिता और भावट्टिका के आख्यान हैं। भावट्टिका-आख्यान परियों की कथा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्व का है। इसके कुछ भागकी तुलना अरेबियन नाइट्स से की जा सकती है। इस आख्यान के अन्तर्गत विक्रमादित्य के आख्यान में भैरवानन्द का वर्णन है । उसने प्रेतवन में पहुँचकर मन्त्रमण्डल लिखा। यहाँ पर डाकिनियों का वर्णन किया गया है । रागादिअनर्थपरंपरावर्णन के अधिकार में वणिक्पनी, नाविकनन्दा, चण्डभद्र, चित्रसम्भूत, मायादित्य, लोभनन्दी और नकुलवाणिज्य नाम के आख्यान हैं। जीवदयागुणवर्णन के अधिकार में श्राद्धसुत, गुणमती और मेघकुमार, तथा धर्मप्रियत्वादिगुणवर्णन-अधिकार में कामदेव और सागरचन्द्र के आख्यान हैं। धर्ममर्मज्ञजनप्रबोधगुणवर्णन-अधिकार में पादावलंब, रत्नत्रिकोटी और मांसक्रय के आख्यान हैं। भावशल्यअनालोचनदोष-अधिकार में मातृसुत, मरुक ऋषिदत्त और मत्स्यमल्ल की कथायें वर्णित हैं। कुछ सुभाषित देखिये थेवं थेवं धम्मं करेह जइ ता बहुं न सके । पेच्छह महानईओ बिंदूहि समुद्दभूयाओ। -यदि बहुत धर्म नहीं कर सकते हो तो थोड़ा-थोड़ा करो । महानदियों को देखो, बूंद-बूंद से समुद्र बन जाता है । उप्पयउ गयणमग्गे रुंजउ कसिणत्तणं पयासेउ । तह वि हु गोब्बरईडो न पायए भमरचरियाई । -गोबर का कीड़ा चाहे आकाश में उड़े, चाहे गुंजार करे, चाहे वह अपने कृष्णत्व को प्रकाशित करे, लेकिन वह कभी भी भ्रमर के चरित्र को प्राप्त नहीं कर सकता। चीनांशुक और पट्टांशुक की भाँति जद्दर' भी एक प्रकार का वस्त्र था । दद्दर (जीना, दादर-गुजराती में), तेल्लटिल्ल (?), १. जरी के बेल-बूटों वाला वस्त्र । शालिभद्रसूरि ( १२वीं शताब्दी) ने बाहुबलिरास में जादर का प्रयोग किया है। वैसे चादर शब्द फारसी का कहा जाता है।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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