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________________ (८०) योग्य है परंतु महा मोहको उत्पन्न करनेवाली प्रमदा स्त्री चितवन करने योग्य नहि है. तिस्के रंग रूपसे जित होना नहि, लेकिन तिस्को विकार कारिणी जानकर त्याग देनी योग्य है. ___ प्रश्न ३० कौनसी कौनसी वावते विशेष प्रिय वल्लभ गिनकर आदरनी चाहिये ? उत्तर--- करुणा, दुःखी जीवोपर अनुकंपा, दाक्षिण्यता और सब जीवोंके उपर समान भाव गैत्रीभाव याने "आत्मवत् सर्व भूतेषु " ऐसी बुद्धि रखना चाहिये. प्रश्न ३१ प्राणांत कट आ जानेपरभी किस किसके वश्य नहि होना ? उत्तर--- मूर्ख ( अज्ञानी-अविवेकी), दीनता, गर्व और कृतम वश नहि होना, प्रश्न३२ जगत्में पूजने योग्य कौन है ? उत्तर-- सदाचारी, शुद्ध व्रतधारी-निर्मल चारित्रवंत जन पूजने योग्य है. प्रश्न ३३ जगत्में कमनसीब कौन है ? उत्तर-- मन्नवती-भन्न परिणामी-खंडित शीलपाला बेशक कम नसीवदार है. ____ प्रश्न ३४ जगत्में कौन वश कर शकता है ? जन प्रिय कौन हो शकता है? __ उत्तर - हित मित ( सत्य ) भाषी और सहनशील क्षमावत हो सो जगत्मान्य और प्रितिपात्र हो सकता है. प्रश्न ३५ देव भी कैसे मनुष्यको नम्रतासे नमन करते है ? ____उत्तर--- दया प्राधान्य-जिनके हृदयमें उत्तम दयाधर्म स्थित हो तिनको देव भी नमन करते है.
SR No.010725
Book TitleSadbodh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherPorwal and Company
Publication Year1936
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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