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________________ WHW गुजराती भाषानो विभाग. WWXWW.222 WWW HX वैराग्यसार ने उपदेश रहस्य. (१) जे पराइ निंदा विकथा करवामां मुंगो छे, परस्त्रीमुख जोवामां आंधळो छे, अने परायु धन हरपामा पांगळो छे, तेवो महापुरुषज जगमा जयवंतो वर्ते छ. परनिंदा, परस्त्रीमा रति अने परद्रव्य हरण महा निंद्य छे. (२) जे आक्रोश भरेला वचनोथी दूमातो नथी अने खुशामतथी खुशी थइ जतो नथी, जे दुर्गन्धथी दुगंछा करतो नथी. अने खुशबोथी राजी थइ जतो नथी, जे स्त्रीना रुपमा रति धारतो नथी. अने मृतश्वानथी सूग लावतो नथी, एवो समभावी उदासी योगीश्वरज सर्वत्र सुख समाधिमा रहे छे. (३ ) जेने शत्रु अने मित्र बने समान छे, जने भोगनी लालसा तूटी गई छे, अने तपश्चर्यामां जेने खेद थतो नथी, जेने पथ्थर अने, सवर्ण ( रत्नादिक ) बंने समान छे, एवा शुद्ध हृदयवाळा समभावी . योगीजनोज खरा योगधारी छे. (४) कुरंगनी जेवा चंचळ नेत्रवाळी अने काळा नागनी जेवा कुटिल केशने धारवावाळी कामिनीना राग पाशमा जे नथी पडी जाता तेज खरा शूरवीर छे. (५) स्त्रीना मध्यमा कृशता, भृकुटीमां वक्रता, केशमा कुटीलता, होठमा रक्तता, गतिमा मंदता, स्तनभागमा कठीनता, अने चक्षमा चचळता स्पष्ट जोइने फक्त कामाकुल मंदमति जनोज वैराग्यने
SR No.010725
Book TitleSadbodh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherPorwal and Company
Publication Year1936
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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