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________________ [ १०५ ] (११) जोधपुर वर्णन गजल भादि सार, गणपति शिर नगु, निश्चै इक वित्त होय । गढ जोधाणो वर्णवु, मोटो बुद्धि यो मोय ॥ १॥ सबही गढ शिरोमणि, भतिही ऊँघो जाण । अनद पहादी ऊपरै, जालम गढ जोधाण ॥ २॥ राज करै राठौड़ घर, श्री मानसिंह महाराज। अदल माण धरतै भखंड, इसहो भवर न भाज ॥४॥ गढ जोधाण भति मारीक, जाणं धरा जुग सारीक । जब्बर कोठ पका जोर, जाके जोड़ नावै और ॥ १॥ (श्रुटित प्रति-अभय जैन ग्रन्थालय) (१२) झींगोर गजल । जटमल नाहर । आदि झोगोर कोटी खूब देखी नारी एक सुनार की । मन लाइ साहिब भाप सिरजी पत सिरजण हार की । मुख चद मुंह निसाण चाटे नैन घामी सार की । भलि मस्ति माछो नाजि.नखरा कली जान भनार की। अन्त - कर भोट गूंघट को विराजै, सबल फोज पिठार की । बहु खूप खूवाँ खूप सोमा खूब छवि गुलजार की। बनी अजब महिमा, अजब सोमा नौंस सिंघार की। मुख जटमल सिपत कीनी, कामनी किरतार की। (प्रतिलिपि-अभय जैन ग्रन्थालय) (१३) डीसा गजल । पद्य १२१ । देवप। आदि चरग कमल गुरु लाय चित्त, गजल फलं सुखदाय । के प्रति बोधी किया, विपुल सुज्ञान वताय ॥ १॥ बीन ठादेश कथीर जु, पहिर खुशी नहीं होय । हीरा मणि माणक सही, लीला कवि जन लोय ॥ २ ॥ घ (ध !)र नीली पाणधार में, गुणीयल नर शुभ गाम । नग फण रस कस नीपजे, धवल नवल सुख धाम ॥३॥
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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