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________________ [ १०३ ] तिण देश तोर्थ शत्रुंज शिखर, बले गिरनार बखाणिये । मनरूपविजय कवि कहै मरद, अवस सोरठ चित आणिये ॥ १ ॥ ( प्रतिलिपि ~भय जैन ग्रन्थालय ) ( ८ ) चितौड़ गजल । पद्य ५६ । यति खेतल । सं० १७४८ श्रावण वदि १२ । आदि अंत- दोहा चरण चतुरभुज धारि चित, भरु ठीक करो मन ठौर चौरासी गढ चक्क वह चावो गजल गढ चितौ है बंका कि, मानु समंद में विइ पूरत हलवती, अरु गंभीर तीर भला दैति अल्लावदिन, बंधी पुल बड़ी पदवीन गैबी पीर है गाजी कि, अकबर भवलियौ राजी कि ।। ३ ।। चितौ ॥ १ ॥ कलश पंडिताने जिन्हां रीत चावा जिहां चंडिका लंका कि । रहति कि ।। २ ।। खरतर जती कवि खेताक, आखै मौज सुं एताक । संवत सतरैसे भड़ताल, सावण मास ऋतु वरसाठ : दि पख वाखी तेरी कि, कीनी गजल पढियो ठीक ।। ५५ ।। पढ़ो ठीक बारीक सुं चारुं कूट मालुम चित्तौ झीली वावसै झीकतें झरणारे झीगरी झीठ सगीत की ठीक पाई पीठ चामुण्ड माई | दरखत जोइ भीडं afa खेत युं कवितारे गजल चित्तौड की खूब बनाई || लेखनकाल -- १८ वी शताब्दी | प्रति- पत्र २ । पंक्ति १७ । अक्षर ४७ | साईज १०x८ । (अभय जैन ग्रन्थालय ) ( ९ ) जोधपुर वर्णन गजल | गुलाब विजय | सं० १९०१ पौष कृष्ण १० । भादि--- समरूं मन शुद्ध शारदा, प्रणमुं श्री गुरू पाय । महिपल में महिमा निलो, मरुधर है सुम्प्रदाय ॥ १ ॥ तिण देसै जोधाणपुर, दिन दिन चढते व सकल लोक सुखिया वसै, राज करत हिन्दु राव ॥ २ ॥
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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