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________________ आध्यात्मिक स्वतन्त्रता का आन्दोलन श्री सुज्ञानेन्द्र तीर्थ श्रीपादाः भी पत्तगी मठ, उडीपी प्राचार्यश्री तुलसी ने अणुवत-भान्दोलन का प्रवर्तन ऐसे समय पर किया है जबकि भारत अपनी लुप्त प्राध्यात्मिक स्वतन्त्रता को पुनः प्राप्त करने में लगा है। प्रागर्यश्री ने भारत में सर्वत्र अपने अनुयायियों को भेज कर इस पान्दोलन के रूप में एक सन्देश दिया है। अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन से हमें सचमच ही प्रसन्नता होती है। सभी लोग प्राचार्यश्री तलसी के इस प्रान्दोलन में अपना सहयोग दें और वे अपने पूरे प्रयत्न के साथ इस आन्दोलन को चलाते रहें, ऐसी हमारी शभकामना है। TAMIL LAMA पंच महाव्रत और अणुव्रत स्वामी नारदानन्दजी सरस्वती, नेमिषारण्य अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वर त्यागः । सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाकला. श्रयत्वम् । प्रस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम्। ब्रह्मचर्यप्रतिष्ठायां वीर्यलाभः । अपरिग्रहस्थ जन्मकथन्तासंबोषः। -योग दर्शन राजनीति व राष्ट्रीय संस्थाएं इनको पंचशील कहती हैं। महर्षि पतंजलि उपरोक्त पांचों को पंच महावत कहते हैं। सार्वभौम एकता के लिए शास्त्रीय पद्धति में इनके पालन द्वारा विश्व अपना चारित्रिक निर्माण कर सर्वप्रकारेण मुखी हो सकता है। जातिदेशकालसमयानवछिन्नाः सार्वभौमा महाव्रतम्, महर्षिपतंजलि ने इनको पंच महाव्रत बताया है। प्राचार्यश्री तुलसी ने इन्हीं तो की एक सुगम विधि उपस्थित करते हए सरलता के प्रों में इनको पंच अणुव्रत के नाम से प्रचारित करके जनता को चरित्र की शिक्षा दी और समाज का विशेष कल्याण किया है। ईश्वर के भजन करने वालों को, शास्त्र पर चलने वालों को इन नियमों से बड़ी सहायता मिलती है। वेद सिद्धान्त के मानने वाले प्राज भौतिकवाद की ज्वाला से जलते हुए समाज को बचाने के लिए इन नियमों में मिल कर विश्व शान्ति करने में सफल हो सकेंगे। हम वैदिक धर्म को मानने वाले भी प्राचार्य जी के दया, सत्य, त्याग, तपस्या से प्रभावित हुए । भौतिकवाद की कठोरता से पीड़ित जनता को इन नियमों से शान्ति मिलेगी।
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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