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________________ २२२ ७. उपदेशमाला प्रथम भाग-यह पुस्तक भी उक्त शास्त्रीजीकी ही लिखी हुई है । मूल्य चार आना । इसमें सत्य, आत्मविश्वास, उद्यम, जीवनसाफल्य, पुरुषार्थ, मधुर भापण, शील, आदि विषयोंपर अच्छे अच्छे उपदेश है और साथ ही प्रत्येक विषयके कण्ठ करने योग्य सस्कृत श्लोक भी है। ८. महाराष्ट्रोदय-लेखक, पं० रामप्रसाद त्रिपाठी, बी. ए. । मूल्य डेड आना । इस छोटेसे २३ पेजके निबन्धमें-महाराष्ट्र राज्यके उत्थानका, शिवाजी महाराजके चरितका और उनकी कार्यकुशलता वीरता आदिका वर्णन है। पढने योग्य है । ९. धर्मवीर गाँधी-लेखक, श्रीयुत सम्पूर्णानन्द बी. एस सी. । प्रकाशक, अन्यप्रकाशक समिति, काशी। पृष्ठसख्या ९० । मूल्य चार आने । पाठकोंको दक्षिण आफ्रिकाके भारतवासियोंकी लज्जा - रखनेवाले और भारतका मुख उज्ज्वल करनेवाले कर्मवीर गाधीका परिचय देनेकी आवश्यकता नहीं। इस पुस्तकमें उक्त महात्माका ही आदर्श चरित लिखा गया है। प्रत्येक भारतवासीको यह चरित पढना चाहिए और जानना चाहिए कि देशसेवा करनेके लिए कैसे दृढ विश्वास, अव्यवसाय और पवित्र भावोंकी आवश्यकता है। इस पुस्तकसे जो कुछ लाभ होगा उसे समिति दक्षिण आफ्रिकाप्रवासियोंकी सहायताम अर्पण करना चाहती है। १०. अनुभवानन्द---लेखक, श्रीयुत शीतलप्रशादजी ब्रह्मचारी और प्रकाशक, जैनमित्र कार्यालय वम्बई । पृष्ट सख्या १२८ मूल्य आठ आने । इस पुस्तकका विशेष परिचय देनेकी आवश्यकता नहीं, क्योंकि इसके सब लेख दो तीन वर्ष पहले जेनमित्रमे निकल चुके है। इसमें आध्यात्मिक विचार रूपकके रूपमें प्रगट किये गये हैं।
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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