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________________ あきさきさなさささささささささなささきあささささささささささささき अभिषेक माड ॥ ३ तित पंचम उदधि तनों सु वार। सुर कर कर करि ल्याये उदार ॥ तव इंद्र सहसकर करि अनंद । तुम सिर धारा ढासौ सुनंद ॥४॥ अघ घघ घघ घघ धुनि होत घोर । भभ भभ भभ धध घध कलशशोर ॥ दुमद्गम द्रुमद्म बाजत मृदंग । झन नन नन नन नन नूपुरंग ॥५॥ तन नन नन नन नन तनन तान । घन नन नन घंटा करत ध्वान ॥ ताथेई थेइ थेइ थे। सुचाल। जुत नाचत नाचत तुमहिं भाल ॥६॥ चट चट चट अटपट नटत नाट । झट' झट झट हट नट शट विराटः ॥ इमि नाचत राचत भगत रंग। सुर लेत जहां आनंद संग ॥ ७॥ इत्यादि अतुल मंगल सुठाट । तित बन्यौ जहां सुरगिरि विराट ॥ पुनि | करि नियोग पितुसदन आय । हरि सौंप्यौ तुम तित वृद्ध थाय ॥ पुनि राजमाहिं लहि चक्ररत्न । भोग्यौ छखंड फरि धरम जन ॥ पुनि तप धरि केवलरिद्धि पाय । भवि जीवनकों शिवमग बताय ॥ शिवपुर पहुचे तुम हे जिनेश । गुनमंडित अतुल अनन्त भेष ॥ मैं ध्यावतु Sil हौं नित शीश नाय । हमरी भवबाधा हरि जिनाय ॥१०॥ सेबक अपनो निज जान जान । al फरुना करि भौभय भान भान ॥ यह विधन मूल तरु खंड खंड । चितचिन्तित आनंद मंड मंड ॥११॥ घत्तानंद छंद (मात्रा ३१) श्रीशान्ति महंता, शिवतियकता, सुगुन अनंता, भगवन्ता। tetetstetotket-tectet-toutstetstatststatutetstetetstatutetatutodati
SR No.010717
Book TitleVartaman Chovisi Pooja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVrundavandas
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1985
Total Pages177
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size6 MB
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