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________________ धन संचय की वृत्ति के पीछे गृहस्थी की आवश्यकता नहीं किन्तु लोलुपता और धनवान् कहलाने की अहंकार वृत्ति ही प्रधान होती है। मनुष्य की वास्तविक आवश्यकताएं बहुत कम होती हैं किन्तु वह उन्हें स्वेच्छा से बढ़ा लेता है । अाज तो मानव व्यक्ति ही नहीं, देश भी आदश्यकताओं के शिकार हो गए हैं । विदेशों में क्या भेजें और कैसे विदेशी मुद्रा प्राप्त करें, यह देश के नेताओं की चिन्ता है । जब उन्हें अन्य पदार्थ भेजने योग्य नहीं दीखते, तो उनकी नजर पशु धन की ओर जाती है । बढ़िया किस्म के वस्त्रों, खिलौनों और मशीनों की पूर्ति के लिए धन कहां से दिया जाय ? इसका एक रास्ता पशु धन है । एक समय भारतवासी सादा जीवन व्यतीत करते थे तो देश पर विदेशों का ऋण नहीं था। मगर अाज विचित्र स्थिति बन गई है। नन्हें-नन्हें बच्चों को दूध न मिले और गोमांस विदेशों में भेजा जाय । यह सब आवश्यकताओं को सीमित न रखने का फल है। प्राचीन काल में कहावत थी-'यथा राजा तथा प्रजा।' अव प्रजा तंत्र के युग में यह कहावत वदल गई है और 'यथा प्रजा तथा राजा' के रूप में हो गई है। ऐसी स्थिति में प्रजा को जागृत होना चाहिए। अगर प्रजा जागृत रहेगी तो शासक वर्ग को भी जागृत रहना पड़ेगा। प्रजा में अपनी संस्कृति के रक्षण की भावना बलवती होगी तो वह ऐसी सरकार ही नहीं बनने देगी जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता की जड़ें उखाड़े और भारत की धार्मिक विशेषता का हनन करे । आज सरकार की ओर से हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है, यह धर्मप्रिय जनता को विशेष रूप से सोचने योग्य और प्रतिकार करने योग्य मुद्दा है । प्रत्येक अहिंसा प्रेमी व्यक्ति को, फिर वह किसी भी धर्म का अनुयायी क्यों न हो, संगठित होकर निश्चय करना पड़ेगा कि हम देश की संस्कृति के विरुद्ध कोई कार्य नहीं होने देंगे। - बन्धुओ, करोड़ों निरपराध और मूक प्राणियों के प्राण बचाने का प्रश्न है और इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ किसी का नहीं है । अतएव इस क्षेत्र में काम करने वाले कम मिलते हैं ! किन्तु मैं विश्वास पूर्वक कहना चाहता हूं कि इस कार्य से आपको मानसिक शान्ति और सन्तोष प्राप्त होगा। अगर आप
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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