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________________ ३८२] मित्रता की भावना उत्पन्न होनी चाहिए शिक्षा पद्यति में नीति और धर्म का. * समावेश हुए बिना यह उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सकता। .. दूसरे के प्रति प्रेम का भाव न हो, स्वार्थ छल-कपट और रोष ही रोष : हो तो विष की ही आग भड़केगी। भारत की संस्कृति विश्वबन्धुत्व की भावना. से ओतप्रोत है, मगर विदेशी प्रभाव के कारण यहाँ की शिक्षा में परिवर्तन - हो गया है। चीनी यात्रियों (ह्वन सांग, फाहियान आदि) ने अपने यात्रा .. .. विवरणों में लिखा है कि मगध राज्य में ताला लगाने की आवश्यकता नहीं ... - पड़ती। इस बात से दूसरे देशों को आश्चर्य हुआ। उन यात्रियों को बतलाया गया कि भारत में चोरी की कहानियाँ सुनो जाती हैं परन्तु भारतीय चोरी नहीं .. करते । यात्रियों को इस बात पर विश्वास नहीं हुया परीक्षा के लिए वे. अपनी ... ... गठरी एक कुए के पास छोड़ कर आगे बढ़ गए। कोइ राहगीर अपनी गठरी : भूल गया है, यह कह कर लोगों ने गठरी. राजकर्मचारियों के सिपुर्द कर दी। . .. एक घुड़सवार राजकर्मचारी उस गठरी को लेकर चला और उन यात्रियों को - सौंप दी उसने यात्रियों को सावधान किया यात्रा में अपना सामान संभाल कर ... रखना चाहिए । यात्री भारत की असाधारण प्रामाणिकता को देख कर अत्यन्त . . प्रभावित हुए। ................................ - आज सारा नक्शा बदल गया है । चोरी का माल कदाचित् मिल जाए : तो माल के असली मालिक को उसे हस्तगत करने में भी कठिनाई होती है, - पंचनामा आदि कई झंझटें करनी पड़ती हैं। लोगों को एक दूसरे का विश्वास .. नहीं रहा है। यात्रा के समय जेबों में पैसा सुरक्षित नहीं रहता। प्रत्येक वर्ग में .. अप्रामाणिकता बढ़ गई है । रिश्वत, चोर बाजारी आदि वुराइयां, जो देश को . अधःपतन की ओर ले जाने वाली हैं, बढ़ती जा रही हैं। ........ सुख और दुःख के मूल दो-दो कारण होते हैं. आन्तरिक और वाह्य । .. हवा लग जाना, खान-पान में गड़ बड़ हो जाना दुःख के वाह्य कारण हैं; असातावेदनीय कर्म का उदय होना अन्तरंग कारण है। दुःख की रोक-थाम के
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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