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________________ । ३०५ दूसरों को प्रातकित करेगा, सताएंगा इसी कारण.. सत्पुरुष विद्या को गोपनीय धन कहते हैं और फिर अतिशय उच्च कोटि की विद्या तो विशेष रूप से गोपनीय होती है। प्राचार्य भद्रबाहु चौदह पूर्वो के ज्ञाता थे। उनके मन में लहर उठी- क्या पूर्वो का ज्ञान देना बंद कर देना चाहिए ? एक विद्या, जीवन को ऊँचा .. : उठाने के लिए जिस किसी को भी दी जा सकती है। श्रोता चाहे सजंग हो या . . न हो, चाहे क्रियाशील हो या निष्क्रिय हो, सभी को दी जा सकती है। मोक्षसाधना सम्बन्धी ज्ञान देने में पात्र-अपात्र का विचार नहीं किया जाता। किन्तु ज्ञय विषयों का ज्ञान देने का जहाँ प्रश्न हो, वहाँ पात्र-अपात्र की परीक्षा करना आवश्यक है। जो पात्र हो और उस ज्ञान को पचा सकता हो उसी को वह .. ... ज्ञान देना चाहिए । बालक को गरिष्ठ भोजन खिलाना उस के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाता है। इससे उसे लाभ नहीं होता, रोग हो जाता है। इसी प्रकार अपात्र को अज्ञय विषयक विद्या देना उसके लिए अहित कर है और दूसरों के लिए भी। . ज्ञान एक रसायन है, जिससे प्रात्मा की शक्ति बढ़ती है इस परलोक में परम कल्याण होता है। जो पात्रता प्राप्त कर के ज्ञान-रसायन का सेवन करेंगे, निश्चय ही उनका अक्षय कल्याण होगा।
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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