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________________ : २५० ] . स्थूलभद्र के साथ कई सन्त श्र ताभ्यास के हेतु गए थे। किन्तु स्थूलभद्र के सिवाय शेष सभी वापिस लौट आए। उनमें उक्त पांच बातों में से कोई न.. कोई बात रही होगी। जो व्यक्ति दृढ़ संकल्प के साथ, हिम्मतपूर्वक किसी शुभ कार्य में जुट जाता है, उसे अवश्य सफलता प्राप्त होती है चाहे वह कार्य कितना ही दुस्साध्य हो। - मनुष्य जीवन अल्पकालिक है । मृत्यु ज्ञानी और अज्ञानी में, गृहस्थ और गृह त्यागी में एवं राजा और रंक में कोई भेद नहीं करती। उसके लिए सभी समान हैं। जिसने जन्म लिया, उसका मरण अवश्यंभावी है। प्राचार्य सम्भूतिविजयं भी अन्ततः स्वर्गवासी बने। उनके देहोत्सर्ग के बाद भद्रबाहु लौट कर आए और उन्होंने शासनसूत्र संभाला। स्थूलभद्र भी निश्चल संकल्प के साथ उनके पास रहे । इस समय तक दस पूर्वो के लगभग का ज्ञान उन्हें हो चला था । भद्रबाह स्वामी ने कुशलता के साथ शासन चलाना प्रारम्भ किया। स्थलभद्र उनके सहायक थे। वे ओजस्वी, तेजस्वी और सूक्ष्म सिद्धान्तवेता हो । गए थे तथा भद्रवाह के बाद प्राचार्य पद के योग्य समझे जाने लगे थे। अागम या किसी भी अन्य विषय का शब्दार्थ प्राप्त करके यदि चिन्तन न किया गया तो प्रात्मा की उन्नति नहीं हो सकेगी। पढ़ कर चिन्तन और मनन करने से ही जीवन में मोड़ पाता है और मोड़ पाने पर आत्मा का उत्थान होता है । पठित पाठ चिन्तन-मनन के द्वारा ही आत्मसात् या हृदयंगम होता है और वही ज्ञान सार्थक है जो अात्मसात् हो जाए । स्थूलभद्र अपने गुरु भद्रबाहु. से वाचना लेकर वाद में अलग से चिन्तन करते और उसकी धारणा करने की कोशिश करते थे। ऐसा करने से उन्हें बहुत लाभ हुआ। आप लोगों ने भी चातुर्मास में प्रतिदिन श्रवण किया है। उसमें से क्या और कितना ग्रहण किया, इस बात पर आपको विचार करना चाहिए। चातुर्मास्य की समाप्ति के दिन सन्निकट पा रहे हैं । देवालय का कबूतर नगाड़ा . बजाने पर भी नहीं उड़ता परन्तु कुंआ का कबूबर साधारण आवाज से भी उड़ जाता है । हमें देवालय के कबूतर के समान नहीं होना चाहिए जिस पर .. . ....
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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