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________________ [ २५१ कहने सुनने का कुछ असर ही नहीं पड़ता, बल्कि कुंए में कबूतर के समान बनना चाहिए । आत्महित की जो भी बात कर्णगोचर हो उसको विवेक के साथ अपनाना चाहिए । अपनाने से ही ज्ञान सार्थक होता है । अगर जीवन में कुछ भी न उत्तारा गया तो फिर कोरा ज्ञान किस मतलब का ? - स्थूलभद्र की सात बहिनें भी थी जो बड़ी बुद्धिशालिनी थीं। महामन्त्री शकटाल ने उनके जीवन निर्माण में कोई कसर नहीं उठा रक्खी' थी। उसने सोने से शरीर को सुसज्जित करने की अपेक्षा ज्ञान से जीवन को मंडित करना .. अधिक कल्याणकर समझा । उन बहिनों ने भी प्राप्त ज्ञान का सदुपयोग किया और संयम को ग्रहण किया। इस प्रकार वे ज्ञान के साथ संयम की साधना ।। करने लगीं। सुशिक्षा और ज्ञान की उपसम्पदा प्राप्त कर लेने के कारणं और .. साथ ही अपने भाई स्थूलभद्र के साधु हो जाने के कारण उन्होंने अपने जीवन . .. को राग की ओर बढ़ाना छोड़ दिया। राग रोग है, ऐसा समझ कर उन्होंने विराग का मार्ग अपनाया-दीक्षा अंगीकार कर ली। यही नहीं, तप और, म संयम की आराधना करके ज्ञान की ज्योति प्राप्त की। ___ सातों साध्वियां प्राचार्य भद्रबाहु की सेवा में पहुँची जिससे अपने भ्राता स्थूलभद्र के दर्शन कर सके। बन्धुनो ! जैसे इन सन्तगणों का जीवन ज्ञान के अपूर्व आलोक से जगमगा उठा, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन को, आलोकमय बनाना है। ऐसा करने पर ही उभय लोक में कल्याण होगा।
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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