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________________ यि मिट जायको वृत्ति का एक से जाएंगा। यह साम्यवादियों की धारणा है और यही साम्यवाद का मूल आधार है। वे लोग वर्ग संघर्ष को उत्तेजना देकर अशान्ति उत्पन्न करने में विश्वास करते हैं। मगर क्या यह तरीके सही हैं ? अशान्ति के द्वारा शान्ति स्थापित नहीं की जा सकती। चिन्तन करने पर ये तरीके सही नहीं मालूम होंगे। एक से छीन कर दूसरे को देने से क्याः मुनाफा कमाने की वृत्ति का अन्त प्रा जाएगा? ऐसा करने से वैर-विरोध मिट जाएगा ? नहीं, इससे तो एक के बदले दूसरी बुराई पैदा होती रहेगी और बुराइयों का तांता लग जाएगा। ... .. . . . . . . . . . . . समाज में जो आर्थिक विषमता है, उसे मिटाने के लिए ऊपर से थोपा हुआ कोई भी हल कामयाब नहीं हो सकता । न तो लूटपाट के द्वारा उसे दूर किया जा सकता है और न कानून की सहायता से ही। आज शासन की ओर से मुनाफाखोरी के उन्मूलन के लिए अनगिनती कानून बनाये जा रहे हैं और अध्यादेश पर अध्यादेश जारी किये जा रहे हैं। मगर ऐसा करने का परिणाम क्या पा रहा है ? कानूनों की वृद्धि के साथ अप्रामणिकता की वृद्धि हो रही है, भ्रष्टाचार बढ़ता जाता है, लोग कानून से बचने के लिए बेईमानी का नया तरीका खोज लेते हैं। ऊपर से कोई चीज लादने का इसके अतिरिक्त और कोई दूसरा फव निकल भी नहीं सकता। भगवान् महावीर ने मानव-मन की गहराई की थाह ली थी। उनकी दूरदर्शिता असाधारण थी। अढाई हजार वर्ष पूर्व सामाजिक और वैयक्तिक जीवन के उत्थान की जो विधि उन्हेंने बतलाई थी, वही आज भी उपयोगी हो सकती है और कहना तो यह चाहिए कि उसके अतिरिक्त दूसरी कोई विधि । संभव नहीं हो सकती। उनके द्वारा जिन नैतिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है, वे चिर पुरातन होने पर भी सदा नूतन रहेंगे। वे देश और काल की परिधि में बन्धे हुए नहीं हैं । शाश्वत सत्य के रूप में वे आज भी हमारे लिए ... प्रेरणा के प्रबल स्रोत हैं। .... ::. हिंसा और असत्य आदि के निवारण के लिए भगवान् महावीर में जहाँ एक-एक व्रत का विधान किया, वहाँ आर्थिक बुराई से बचने के लिए एक नहीं,
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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