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________________ ( २१६ ) अनंगलवण एहवो दीयो, प्रथम पुत्रना नाम मदनांकुस बीजा तणो, नाम दीयो अभिराम जा माता माथई मुंकिया, सरसव रक्षा काजि । सुखइ समाधि वध तिहा, वे भाई बहु साजि IIll इण अवसरि तिहां आवीयो, विद्या वल सपन्न । नाम सिद्धारथ जोतिषी, खुल्लक अति सुप्रसन्न ||६|| तीरथ चैत्य जुहार नई, आवड निज आवास । खिण माहे साधक खरउ, ते ऊडइ आकास ॥१०॥ ते आयो भिक्षा भणी, सीता मंदिर माहि। करि प्रणाम पडिलाभियो, आणी अधिक उछाह ||१|| भली परइठ भोजन कियो, खुसी थयो सुविशेष । सीतानइं पूछ। इराँ, बेटा बेउं देखि ॥१२॥ कहि वालक ए केहना, कहइ सीता विरतांत । खि सांस नाखती, जिम छोडी निज कात ।।१।। म करि दुखु खुल्लक' कहइ, बखतवंत ए पुत्र । तुं पणि सुख पामिसि सही, सगलो हुस्यइ ससुत्र ॥१४॥ जाण प्रवीण कुमर थया, बहुत्तरि कला निधान । सुरवीर अति साहसी, सुंदर रूप जुवान ॥१॥ बजजंघ राजेन्द्र पणि, निज कन्या सुजगीस । दीधी लवणाकुस भणी, ससिचूलादि बत्रीसि ।।१६।। १-लिगार तु |
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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