SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १८२ ) दहा ६ तिण अवसरि वीजा दिनई, लंकापुरी उद्यान । अप्रमेयवल नाम मुनि, आया उत्तम ध्यान ॥ १ ॥ साथ छप्पन्न सहस मुनि, साधु गुणे अभिराम । शुभ लेश्या चड्यो साधजी, अप्रमेयवल नाम ।। २ ।। अनित्य भावना भावतां, धरतां निरमल ध्यान । आधी रातइ अपनो, निरमल केवलन्यान ।।३।। केवल महिमा सुर करई, वायड बाजित्र तूर । मुनि वांदण आवइ भविक, ग्रह ऊगमतइ सूर ॥४॥ देव तणी सुणि दुन्दुभी, लखमण राम समेत । विद्याधर साथे सहू, आया वंदण हेत ।।५।। कुंभकरण वलि इन्द्रजित, मेघनाद सुविलास । त्रिण्ह प्रदक्षिण देकरी, वठा केवलि पास ॥६॥ सर्वगाथा || १५६ ॥ ढाल ४ राग बंगाल ॥ ॥ जानी एता मान न कीजीयइ ए गीत नी ढाल | लखमण राम विभीषण वइठा, वइठा सुग्रीव राय रे । कुंभकरण मेघनाद सहुको, बइठा आगइ आय रे॥ १ ॥ द्यइ केवली भगवंत देसना, हां ए संसार असार रे। जन्म मरण अभवास जरादिक, दुखु तणो भंडार रे ।। २ ।। य० ॥ डाभ अणी ऊपरि जल जेहवो, तेहवो जीवित जाणि रे । संध्याराग सरीखो यौवन, गरथ ते अनरथ खांणि रे ।।३।। द्य० ॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy