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________________ ( १६१ । मुनिवर पिण भाख्यो हुतो, चीता आव्यो तेह । लखमण नई महिला रतन, होम्यई कन्या एह ॥६॥ इम कहिनइ मुंक्य उ तुरत, द्रोणमेघ नइ दूत । ते कन्या आपै नहीं, सीह जगाओ सूत ||१०|| जुद्ध करण ततपर थयो, गई केकेई ताम । अति मीठे वचने करी, समझायो हित काम ||११|| बहिनि वचन बहु मानियो, मुंकी कन्या तेह। सहस सहेली परिवरी, रूपवंत गुण गेह ।।१२।। सखर विमान वइसारिनई, पहुती कीधी तेथि । संग्रामई सकतई हण्यो, लखमण सूतो जेथि ॥१३॥ सर्वगाथा ||४१६।। ढाल ७ राग मल्हार 'श्रावण मास सोहामणउ ए चउमासिया' ए गीतनी ढाल । राम नई दीधी बधावणी, आई विसल्या एथ्योजी। हरखित श्रीरामचंद हुया, पूछयो कहो कहो केथ्यो जी । कहो केथि तेवइ राजहंसी, परिवरी हसी करी । ऊतरी नीची मानसरवर, जेम तिम ते कुयरी ।। चिहुँ दिसईचामर वीजती नइ, सहेली साथई घणी। पदमणी लखमण पासि पहुँती, राम नउ दीधी वधावणी ।।१।। लखमण नउ अंग फरसीयो, हाथ विसल्या लायोजो। सकति हीया थी नीसरी, अगनि मुंकती जायोजी ।।
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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