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________________ ( १५७ ) मइ पूछयो श्री भरतनई, कहो ए जल परभाव । किम जाण्यो किहां पामीयो, ते कहो सहु प्रस्ताव ।। १२ ।। सर्वगाथा ॥ ३७१ ॥ ढाल प्रोहितियारी अथवा सघवीरी रांम कह सुण विद्याधर वात हो, पहिले इण नगरी मइ मरकी हुंती प्रजा पीडामी दिनराति हो, दाय उपाय विहाँ लागइ नहीं ॥ १॥ रा० थयो नीरोग द्रोण भूपाल हो, परिवार सेती भरतइ साभल्यो ते तेडायो ततकाल हो, पूछयो मामा किम रोग गयो टली ॥ २॥रा० द्रोणमुख राजा कह्यो एम हो, माहरइ बेटी विसल्या छइ घरे तिण गरभ थकी पणि खेम हो, कीधोमाता नो रोग गमाडीयो ॥शारा० ते जिनसासन सिणगार हो, मानइ तेहनइ सहुँ को जिम देवता। ते स्नान करती नारि हो, लागउ पाणी नो धावि नइ बिटुयो॥४॥रा० तेहनो ततखिण गयो रोग हो, तिण नगरी मइ वात प्रसिद्ध थई। ते जल लेई गया लोग हो, रोग रहित सहु नरनारी थया ।।शा रा० थयो भरतनइ अति अचरज्ज हो, तेहवइ चउनाणी साध समोसस्था । गयउ भरत वादण थई सज्ज हो, पूछइ वे करि जोडी साधनइ ।।।रा० कहउ भगवन पूरव जनमि हो, इण कन्यायइ पुण्य किसा किया। ए कन्या करेउ धम्मि हो, सुर नर नारी सहु विसमय पड्या ||७|| रा० कहइ न्यानी एम मुर्णिद हो, विजय पुण्डरीकणि चक्रनगर भलो। तिहां राजा तिहुंणाणंद हो, चक्रवर्ती केरी पदवी भोगवइ ।। ८ ।। रा० तेहनी पुत्री रुववत हो, अनंगमुदरी नामइ अति भली। ते सकल कला सोभंत हो, जोवन लहरे जायइ उल्लटिउ ||| रा०
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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