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________________ ( १३८ ) जिसो प्रलयकाल सूरिज प्रचंड, तिसो राम देखी तप अखंड । सुग्रीव प्रमुख वानर सलज्ज, दसवदन उपरि थया सज्ज ॥६॥ भगसिर तणउ जे प्रथम पक्ष, रविवार पाचम दिन प्रत्यक्ष। शुभ लगन वेलि विजय योग, राम कीयो चालणरो प्रयोग ॥ ७ ।। भलभला शकुन थया समस्त, निरधूम अगनि साम्ही प्रशस्त ।। आमरण पहिरे सधव नारि, हासला घोड़ड करइ हेपार ।। ८॥ निग्रंथ दरसण नयण दिछु, वायउ पवन अनुकूल पिट्ठ ।। चामर धजा तोरण विचित्र, गजराज पूरण कुंभ छत्र ॥६॥ संखनउ सवद सवच्छि गाय, नवलीयो दक्षिण दिसई जाय। अतिवृद्ध पुरुषनईसिद्ध अन्न, साभल्यो भेरी सवद कन्न ।।१०।। खीर वृक्ष ऊपरि चलित पक्ष, वासियो वायस वाम पक्ष । बीजा थया वलि शकुन जेह, सहु कहई कारिज सिद्ध तेह ।। ११ ॥ चाल्यो लंका दिसि रामचंद, साथइ विद्याधर तणा वृंद। नक्षत्र वीट्यो चंद जेम, आकास सोहइ राम तेम ।। १२ ।। सुग्रीव हनुमंत नइ सुसेण, नलनील अंगद शत्रुसेण । एहनइ वानर चिन्ह जाणि, वाजते तूरे वहइ विमाणि ।। १३ ।। खेचर विरोहिय चिन्ह हार, सिंहरथ तण तोसीहसार। मेघकंत नइ मातंग मत्त, रणसुर खेचर ध्वजारत्त ॥१४ ।। इण परि विमाने वाहनेषु, गजरथ तुरंगम चिन्ह देखु । आप आपणे वइसी विमान, विद्याधर कीधुं प्रयाण ।। १५ ।। लखमण सहोदर साथि लिद्ध, वानरे मारकि फोज किद्ध । जिम लोकपाले करीय इंद, सोहइ त्युं सुभटे रामचंद ॥ १६ ॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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