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________________ ( १३२ ) आप एकातइ वइसी सीता', राम नाम धरि हिया। गुणि नउकार पछड़ कर भोजन, अवधि पूगी तिण लीयइं॥३१॥ सी० हनुमंत सीता नइ इम विनवइ, वइसी खवइ मुझ स्वामिनी । जिम श्रीराम पासिई लेइं जाऊँ, सुख भोगिवी तु सुहागिनी ॥३२॥ सी० कहइ सीता रोती हनुमंत नई, एह बात नहीं जुगती। पर पुरुप सु फरसुनहिं किदिहुं, ऊडण की नहिं सगती ॥३३।। मी० आप राम आवइ जो यहां किणी, तो जाउंतिण सेती। जा हनुमंत रावण करई उपद्रव, ढील म करि खिण जेती ॥३४|| सी० मुझ वचने कहिजे प्रीतम नई, पडिलाभ्यो गुरु ग्यानी। थयो नीरोग जटायुध पंखो, वृष्टि थई सोना नी !॥३॥ सी० वलि देजे चूडामणि माहरी, सहिनाणी प्रीतम नई। इम कहिनइ कीधी सीख तिणसु, हनुमंत कल्याण तुम्हनई ॥३६॥ सीता रोती नई हनुमंत द्यइ, इम मा बीहिसि२ वहुपरि । आया देखि राम नई लखमण, इहाँ बइठी धीरज धरि ॥३७॥ सी० हनुमत सीता चरण नमीनई, चाल्यो संदेशा हारण । रावण केडि मुँकिया राक्षस, सूल थी मारण कारण ॥३८॥ सी० वन माहे गयो हनुमंत वानर, तितरई दीठा परदल । विविध वृक्ष उनमूली माड्या, गदा हाथि अतुली बल ॥३६॥ सी० रिपु दल त्रुटि पड्या समकालई, हनुमंत उपरि तत्क्षण। हनुमंत रिपुदल भाजी नाख्या, वृक्ष प्रहार विचक्षण ||४०|| सी० १-इकवीसमइ दिवसइ सीता १-जा तु मत २-वामी सि
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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