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________________ ( ३८ ) अम्हनइ दुख समुद्रमइ रे, घालि चल्या तुम्हें पुत्र । किम वियोग सहिस्या अम्हे रे, कुण वनवास कउ सूत्रो रे ॥१८॥ कइयइ वलि मुख देखस्या रे, अम्हें तुम्हारू वच्छ। वेगा मिलिज्यो मातनई रे, अथिर आउखुं छइ तुच्छो रे ॥१६॥राoll राम कहइ तुम्हें मातजी रे, अधृति मकरिस्यउ काइ। नगर वसावी तिहा वडउ रे, तुम्हनइ लेस्यां तेडायोरे ॥२०॥रा०॥ विहुं माते किया पुत्रनइ रे, मंगलीक उपचार । आसीस दीधी एहवी रे, पुत्र हुज्यो जयकारो रे ॥२१॥राol सीतापणि सासूतणा रे, चरण नमी ससनेह । सासू जंपइ धन्य तुं रे, प्रिय साथि चली जेहोरे ।।२२शाराoll देवपूजि गुरु वादिनइ रे, मिलि मिलि सहु सन्तोपि । खमी खमावी लोक सुं रे, नीसत्या हुइ निरदोसो रे ॥२३शाराoll पांचमी ढाल पूरी थइ रे, राय राणी अन्दोह । समयसुन्दर कहइ दोहिलउ रे, मात पिता नउ विछोहो रे ॥२४॥रा० [ सर्व गाथा १४६] दृहा ३ संप्रेडण सांथि चल्या, सामन्तक भूपाल । मंत्रि महामन्त्रि मण्डली, वाल अनइ गोपाल ॥१॥ प्रजालोक साथि चल्या, वलि चल्या वरण अढार । पवन छत्रीस पुकारता, करता हाहाकार ।।२।। अंगतणा वलि ओलगू, दासी दास खवास ।। किम करिस्यां आपे हिवइ, कुण पूरेस्यइ आस ॥३॥ [ सर्व गाथा १४६]
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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