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________________ ( ३५ ) एतउ केकेइ कहइ एहवं, माहरउ वर थोपणि राखि रे ॥के०।। एतउ जद मांगुं देज्यो तदे, चन्द सूरिजनी छइ साखि रे० ॥१४॥०॥ एतउ ते वर हेवणा मांगियो, कहइ भरत नइ आपउ राज रे॥०॥ एतउ तू बइठा ते किम लहइं, तिण चिन्तातुर हुँ आज रे ॥१शाके एतउ राम कहइ राजि दीजियइ, केकेई पूरउ जगीस रे ।।के।। एतउवोल पालउ तु आपणउ, मुझनइ नहिं छइ का रीस रे॥१६॥oll एतउ वचन सुपुत्रनां साँभली, हरखित थयउ दसरथ राय रे ।केगा एतउ बात भली तेड़उ इहां, तुम्हे भरतनइ कह समझाय रे ।।१७किoll एतउ भरत कहइ सुणउ माहरइ, नहीं राज संघाति' काज रे । के०।। एतउ मुझ दीक्षा नउ भाव छइ, ए बांधव नइ द्यउ राज रे॥१८॥०॥ एतउ राम कहइ सुणि भरत तू, ताहरइ नहि राजनउ लोभ रे ॥oll एतउ तउ पणि मां मनोरथ फलइ, बाप वोल नइ चाड़उ सोभ रे।।१६।।के० एतउ भरत भणइ हुँ तुम थका, किम राज ल्यू जोयउ विमास रे॥०॥ एतउ राम कहइ बांधव सुणउ, अम्हे तउ लेस्यूँ वन वास रे ।।२०।। एतठ चौथी ढाल पूरी थइ, कही केकेयी वर वात रे।के।। एतउ समयसुंदर कहइ सांभलउ, खोटी वइयरि नी जाति रे ॥२शाकेगा [ सर्व गाथा ११८] दूहा ४ बात सुनी नइ कोपियउ, लखमण नाम कुमार। दसरथ पासि जई कहइ, का तुम्हें लोपउ कार ॥१॥ १ राम थका।
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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