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________________ एतउ ए पंथी कोइ बापड, कुल वंस न जाणइ कोइ रे ।।के०|| एतउ जउ कुमरो चूकी वस्त्याउ, पणि मांसहुँ नहि अम्हे तोउरे ।।४।० एतउ राजा कहइ किसू कीजिउ, वलि पाली लीजइ केम रे ॥oll एतउ भूप कहइ कुल पूछीयइ, तु कुण कहि जिम छ: तेमो रे ॥५॥oll एतउ हुं वोल्यउ वंसमाहरु, कहिस हिवाहनउ बल मुझ रे ।।०|| एतउ चतुरंग सेना सजिक्री, सुभमति सू माड्य: जुझ रे ॥oll एतउ सुभमति भाजतउ देखिनइ, हुं रथ बइठ ततकाल रे ।।के०।। एतड केकेइ थई सारथी, रथ फेस्य कटक विचाल रे ८०|| एतउ मइ तीर नांख्या तेहनइ, जाणे वरसण लगाउ मेह रे ।।के। एतउ वायइ मात्या वादला, सहु भाजिगया तृपतेह रे ॥हा॥ एतउ जय जय सबद वंदी भगई, गुण प्रगट थया सुविवेक रे॥ एतउ पुत्री परणावी तिहा, आडम्बर करिय अनेक रे ॥१०॥oll एतउ केकेइ गुण रंजियउ, मइ काउ हुं तुठउ तुझरे ।केगा। एतउ मांगि कोइ वर सुन्दरी, तुझ सानिधि जीतउ जुज्झ रे ।।११।।के० एतउ केकेइ कह्यइ वर लाउ, मइ तुझ सरीखउ नाह रे । केगा एतउ वर वीजइ हुं सूं करूं, तुझ दीठा अंगि उछाह रे ॥१२॥oll एतउ पणि वर कोइ मांगि तुं, रंगीली हासउ मुंकि रे ॥के०। एतउ प्राणी छइ नव नाडिया, ए अवसर थी तूं न चूकि रे ॥१॥के० १-वर बीजइ हुँ सू करू, लह्यउ मइ तुम सरीखउ नाह रे । प्राण अछइ नव नाड़िया, ए अवसर थी अग उछाहि रे ॥१२॥०॥ २-मानि वचन प्रिया माहरउ, ए अवसर मोटिम चूकि रे ।
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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