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________________ संख्या कृतिनाम गाथा आदि पद पृष्ठाक ६६ , (नीली हरी विच०) २ थोरी सी वेस मे भोरी सी १२७ ६७ , टेरन के मिस हेरण)२ चुप सु च्यार सखी मिलि १२७) - ___समस्या १ अरे विधि तु विधि जाणत् थो १२८ ६६ , (कर्मकी रेख टर०) १ नीर भर्यो हरिचद नरिद ही १२८ २०० , (टारी टरै नहिं०) १ एक की एक रू दोइ न आवत १२८ २०२ , (सपूत घरी न कपूत) ५ तत्त की या धर्म सीख धरौ जु १२६ १०२ , (निसाणी घर जानकी)१ आयो जाको दूत , १२६ १०३ , (हरि सिद्धि हसे हर०)२ हनुमान हिरोल किये १३० ३०४ ., (इण जोगहु तै गृह) २ रिण देणो घणी लहणी न कछु १३१ २०५ , (चारू वेद चातुरी०) १ एक एक चातुरी सो' १३१ १०६ , (बिनामान हीरा मेरे०) ५ मित्र उदै मेरा जीव राजी है १३२ २०७ , (साहिबी नभावै ताकुं०)२ देश की विदेश की निसे की १३२ १०८ , (थारीमे यु ठहरातन)२ दूर सो दौरि मिले - १३३ १०६ , (काकै के दी०) ५ मोहन भोग जलेबीयः १३४ ११० , (यु कुच के मुख०) ५ तीय को रूप अनूप विलोक्त १३४ २२१ " (छानो रे छानोरे०) १ काम कलोल मे लोल भयो १३४ ११२ सर्वया वात करामात २ शास्त्र घोष कण्ठ शोप १३५ २२३ दोहा (भाई दुपियाराह) २ और ग पतिसाही ग्रही १३५ २२४ अध्यातमियो के प्रश्न का उत्तर (सर्वया, श्लोक, दोहा) ३ तुम्ह जे लिखे हैं प्रश्न १३६
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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