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________________ संख्या कृति नाम गाथा आदि पद पृष्ठाङ्क ७६ सवैया १ गग सरग के सग उरग सु ११५ ७७ यति वर्णन ५ केइ ती समस्त वस्तु चातुरी विचार सार ११५ ७८ मान कर्यो समस्या . १- ठौर सकेत की आगे ते आडके ११६ ७६ भोजन विच्छति ४ आछी फूल खड के ११६ ९० अध्यात्म मतोया रो १ आगम अनादि के उथापी डारे ११७ ८५ गरीर अस्थिरता १ ज्ञान के अभ्यासा मिसि ११८ ८२ रुपैया , १ आपणी देह सुनेह नही पुनि ११८ ६३ चौदह गोभा १ नृपति को शोभा नीति ८४ वस्त्र शोभा २ दूर ते पोगाकदार ११६ ८५ आशिक बाजी २ देखिवं कु दौरि दौर ११६ ९६ छः पूजनीक १ ऐसी नर देह दाता १२० ८७ समस्या (भावी न टर) ४ अटक कटक विचि १२१ ७ समस्या (गौरी ठगठोरी) १ द्वार को न गहे मौन १२३ , (पीपर के पात पर १ वाकै तुम जीवन हो , चरण देख चतुरा) १ इक दिन ख्यालहि अटकि १२४ ,, (वामन के पग ते) १ सूखत ना ववही सबही रस १२४ ॥ (हरि शृ गनि ते०) २ एक समं शिव शैल सुता ,, (आरसी मे मुख) ५ मुदर पलग पर बैठो है ,, (चप के से च्यार०) १ अति ही अनूप नाभि १२५ १५ , (ठाढे कुच देख गाढे)१ गोरी तेरी देवि गति १२३ १२६
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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