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________________ * चौबोस तीर्थङ्कर पुराण * भगवान शंभवनाथ खं शंभवः संभवतर्षरोगैः सतप्यमानस्य जनस्य लोके । प्रासी रिहा कास्मिक एव वैद्यौ वैद्यो यथा नाथ ! रुजा प्रशान्त्यै ॥ -स्वामि समन्तभद्र हे नाथ ! जिस तरह रोगोंकी शान्तिके लिये कोई वैद्य होता है उसी तरह आप शंभवनाथ भी उत्पन्न हुए तृष्णा रोगसे दुखी होने वाले मनुष्यको रोग शान्तिके लिये अकस्मात प्राप्त हुए वैद्य थे। [१] पूर्वभव परिचय जम्बू द्वीपके पूर्व विदेह क्षेत्रमें सीता नदीके उत्तरतटपर एक कच्छ नामका देश है उसमें एक क्षेमपुर नामका नगर है। क्षेमपुरका जैसा नाम था उसमें वैसे ही गुण थे अर्थात उसमें हमेशा क्षेम-मंगलोंका ही निवास रहता था। वहांके राजाका नाम विमल वाहन था। विमल बाहनने अपने बाहुवलसे समस्त विरोधी राजाओंको वशमें कर लिया था। शरद ऋतुके इन्दुकी तरह उसकी निर्मल कीर्ति सब ओर फैली हुई थी। वह जो भी कार्य करता था वह मन्त्रियों की सलाहसे ही करता था इसलिये उसके समस्त कार्य सुदृढ़ हुआ करते थे। एक दिन राजा विमल वाहन किसी कारण वश संसारसे विरक्त हो गये जिससे उसे पांचों इन्द्रियोंके विषय-भोग काले भुजङ्गोंकी तरह दुखदायी मालूम होने लगे। वह सोचने लगा कि 'यमराज किसी भी छोटे बड़ेका लिहाज नहीं करता। अच्छेसे अच्छे और दीनसे दीन मनुष्य इसकी कराल दंष्ट्रातलके नीचे दले जाते हैं । जब ऐसा है तब क्या मुझे छोड़ देगा? इसलिये जबतक मृत्यु निकट नहीं आती तबतक तपस्या आदिसे आत्म हितकी ओर प्रवृत्ति करनी चाहिये । ऐसा विचारकर वह विमलकीर्ति नामक औरस-पुत्रके लिये
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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