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________________ *पौबीस तीर्थदर पुराण २०५ - । उसमें हरिवंशका शिरोमणि सुमित्र नामका राजा राज्य करता था। उसकी स्त्रीका नाम सोमा था। दोनों दम्पति सुखसे.समय व्यतीत करते थे। पहले उन्हें किसी बातकी चिन्ता नहीं थी। पर जब सोमाकी अवस्था बीतती गई और कोई सन्तान पैदा नहीं हुई तब उन्हें सन्तानका अभाव निरन्तर खटकने लगा। राजा सुमित्र समझदार पुरुष थे, संसारकी स्थितिको अच्छी तरह जानते थे, इसलिये वे अपने आपको बहुत कुछ समझाते रहते थे। उन्हें सन्तान का अभाव विशेष कटु नहीं मालूम होता था। पर सोमाका हृदय कई यार समझाने पर भी पुत्रके अभावमें शान्त नहीं होता था। __एक दिन जब उसकी नजर गर्भवती क्रीड़ा हंसी पर पड़ी, तब वह अत्यंत व्याकुल हो उठी और अपने आपकी निन्दा करती हुई आंसू बहाने लगी। जब उसकी सखियों द्वारा राजा सुमित्रको उसके दुःखका पता चला तब ये शीघ्र ही अन्तःपुर दौड़े आये और तरह तरहके मीठे शब्दोंमें रानीको समझाने लगे। उन्होने कहा कि जो कार्य सर्वथा दैवके द्वारा साध्य है उसमें मनुष्यका पुरुषार्थ क्या कर सकता है ? इसलिये दैव साध्य वस्तुकी प्राप्सिके लिये चिन्ता करना व्यर्थ है इत्यादि रूपसे समझाकर सुमित्र महाराज राजसभाकी ओर चले गये और रानी सोमा भी क्षण एकके लिये हृदयका दुःख भूलकर कार्यान्तरमें लग गई। एक दिन महाराज सुमित्र राज समामें बैठे हुए थे कि इतने में इन्द्रकी आज्ञा पाकर अनेक देवियां आकाशसे उतरती हुई राजसभामें आई और जय जय शब्द करने लगीं। राजाने उन सबका सत्कार कर उन्हें योग्य आसनोंपर बैठाया और फिर उनसे आनेका कारण पूछा। राजाके वचन सुन कर श्रीदेवीने कहा कि महाराज ! आजसे पन्द्रह माह बाद आपकी मुख्य रानी सोमाके गर्भसे भगवान् मुनिसुव्रतनाथका जन्म होगा। इसलिये हम सब इन्द्रकी आज्ञा पाकर मुनिसुव्रतनाथकी माताकी शुश्रूषा करनेके लिये आई हुई हैं। इधर देवियों और राजाके बीचमें यह सम्वाद चल रहा था उधर आकाशसे अनेक रनोंकी वर्षा होने लगी। रत्नोंकी वर्षा देखकर देवियोंने कहा-कि महाराज ! ये सब उसी पुण्य मूर्ति बालकके अभ्युदयको पतला PARA
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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