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________________ १५८ * चौबीस तीथङ्कर पुराण * - क्योंकि हरएक जगह जो अन्तराल बतलाया गया है वह एक तीर्थंकरके बाद दूसरे तीर्थकरके मोक्ष होने तकका है, जन्म तकका नहीं है । उनकी आयु बहत्तर लाख वर्षको थी, शरीरकी ऊंचाई सत्तर धनुषकी थी और रंग केसरके समान था । आपके जन्म लेनेके पहले तीन पल्यतक भारतवर्ष में धर्मका विच्छेद रहा था पर ज्योंही आप उत्पन्न हुए त्योंही लोग पुनः जैन धर्ममें दीक्षित हो गये थे। जब उनके कुमार कालके अठारह लाख वर्ष बीत चुके तब महाराज बांसुपूज्यने उन्हें राज्य देकर उनकी शादी करनी चाही। पर किसी कारणसे उनका हृदय विषय भोगोंसे सर्वथा विरक्त हो गया। उन्होंने न राज्य लेना स्वीकार किया और न विवाह ही करना। किन्तु उदासीन होकर दुःखमय संसार का स्वरूप सोचने लगे। उन्होंने क्रम क्रमसे अनित्य आदि भावनाओंका विचार किया जिससे उनका वैराग्य परम अवधितक पहुंच गया। उसी समय लौकान्तिक देवोंने आकर उनकी स्तुति की और उनके विचारोंका शतशः समर्थन किया। चारों निकायके देवोंने आकर दीक्षा कल्याणकका उत्सव किया। भगवान वासुपूज्य देव निर्मित पालकीपर सवार होकर मनोहर नामके बनमें पहुंचे और वहां आप्तजनोंसे पूछकर उन्होंने फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशीके दिन विशाखा नक्षत्र में शामके समय दो दिनके उपवासकी प्रतिज्ञा लेकर जिन दीक्षा लेली। पारणाके दिन आहार लेनेकी इच्छासे उन्होंने महानगरमें प्रवेश किया। वहांपर सुन्दर नामके राजाने उन्हें भक्ति पूर्वक आहार दिया। उससे प्रभावित होकर देवोंने उनके घरपर पंचाश्चर्य प्रकट किये । भगवान वासुपूज्य आहार ले कर पुनः वनमें लौट गये । इस तरह कठिन तपस्या करते हुए उन्होंने छद्मस्थ अवस्थाको एक वर्ष मौन पूर्वक व्यतीत किया। उसके बाद वे दीक्षा वनमें पहुंचे और वहाँ उपवासकी प्रतिज्ञा लेकर कदम्ब वृक्षके नीचे ध्यान लगा कर विराजमान हुए। उसी समय उन्हें माघ शुक्ला द्वितियाके दिन विशाखा नक्षत्रमें शामके समय पूर्ण ज्ञान केवल ज्ञान प्राप्त हो गया। देवोंने आकर ज्ञान कल्याणकका उत्सव मनाया। इन्द्रकी आज्ञा पाकर कुवेरने दिव्य सभा समवसरणकी रचना की। जिसके बीचमें स्थित होकर उन्होंने सात तत्व, नव पदारथ, छह द्रव्य, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र आदि अनेक
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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