SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 327
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ nama बनारसीविलासः २०७१ चालीस लो चतुराई पंचास लो थूलताई, साठ ला लोचनकी दृष्टि लहलही है। सत्तर लो श्रवण असी लो पुरुषत्व निन्या नवे लग इन्द्रिनकी शकति उमही है। * सौलो चित चेत एक सौ दशोचरलो आयु, मानुष जनम ताकी पूरीथिति कही है ॥ १३ ॥ चौदह विद्याओंके नाम यथा छप्पय । ब्रह्मज्ञान चातुरीवान, विद्या ह्य वाहन । परम धरम उपदेश, बाहुवल जल अवगाहन ॥ सिद्ध रसायन करन, साथि सप्तमपुर गाधन । बर सांगीत प्रमान, नूस वाजिन वजावन ।। व्याकरण पाठ मुख वेद धुनि, ज्योतिष चक्र विचारचित । वैद्यक विधान परवीनता, इति विद्या दशचार मित ॥ १४॥ छत्तीस पौन (जाति के नाम कवित्त शीसगर दरजी तंबोली रंगवाल ग्याल, ___बढ़ई संगतरास तेली धोबी धुनियाँ । कंदोई कहार काछी कुलाल कलाल माली, ___ कुंदीगर कागदी किसान पटवुनियाँ ॥ चितेरा विधेस वारी लखेरा ठठेरा राज, पटुवा छप्परबंध नाई मारमुनियाँ । TT T
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy