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________________ १२८ कविवरवनारसीदासः । . R Puttitutatikritutitutiktituntukat ९ यही जानते हैं कि, जोनपुर जोनाशाह (मुहम्मद तुगलक) नेवसायावा, और यही मुनमुनाकर बनारसीदासजीने भी पहिलावादशाह जोनाशाह लिया है। यह बात कविनरके ३०० वर्ष पहिले की थी, और सो भी किसी इतिहासकै आधारसे नही लिखी थी, पुराने लोगोसे पूछ पाछ लिखी थी, उसमें इतनी भूल होना संभव है। उन्होंने इस विषयमें खतः सशकित चित होकर लिया है। 23 "इते पूर्व पुरुषा परथान । तिनके वचन सुने हम कान । ॐ वरनी कथा यथाश्रुत जेम । मृपादोष नहिं लागे एम" ३७८ ॥ (अर्धक्यानक) * इस प्रकार प्रथम पादशाह जौनाशाह नहीं, किन्तु फीरोजशाइको सम झना चाहिये। दूसरा जो ववक्करशाह लिखा है, वह फीरोजशाह बार वुक है । वारखुकका अपभ्रश वक्क्करशाह हो सका है। तीसरा-जोरहर सुलतान लिखा है, वह स्वाजाजहां है, जिस का नाम मलिक सरवर था, सरवर ही गलतीसे सुरहर लिखा गया है। चौथा जिसको दोस्तमोहम्मद लिखा है, वह अथारिकशाह है, जिसका नाम करनफल श। शायद जोनपुरवाले उसे दोस्तमुहअम्मद कहते थे। पांचवां--जिसको शानिजाम लिया है, उसका पता भुवारिकशाह और इब्राहीमके वीचमें कुछ नहीं लगता। छहा-जो शाहबाहीम लिखा है, वह इब्राहीमशाह ही है। सातवां-बिसे शाहहुसेन लिखा है, वह इबराहीमशाहो बेटे महमूद और पोते नुहम्मदशाहके पीछे हुआ था। वीचके इन दो बादशाहोको बनारसीदासजीने नहीं लिखा है। आठवां-जो गाजी लिखा है, वह सैय्यद बहलोललोदी है। शाहहुसेनके पीछे वही जोनपुरका मालिक हुआ था। नवमाँ जो वख्यामुलतान लिखा है, यह बहलोलका बेटा बाखुकशाह हो सका है । जिसे वापने जोनपुरका तस्त दिया था। Hthit.ttttt.k.kokatttt.XXXIZEktmkotktmkan tackatrkut.xkutekakakutakikikkukkiikikikekukkut
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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