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________________ aptiststatitatistatistatitiststatistatitist जैनान्धरत्नाकरे २७ ketetitutik.krt.ka मरा और छोटा पेटा निजामखां दिहीने बादशाह हुमा और गुलनान सिकंदर कहलाया। पारसुफ उससे लड़ने गया और हारा । निकंदरने जोनपुर तो उसे फेर दिया, परन्तु मुस्कने अपने हाकिम बटालिये, जिन के जुलमोसे जोनपुर राज्यके आश्रित राजाने तंग होकर मुलतान हुसेनको बुलाया। वह सन् ८९५ (संवत् १५४६।१४) में आकर सिकंदर लड़ा, परन्तु हारकर यगालेमें चला गया । सिकंदर अपने बेटे जलाल खांको जोनपुरमें यठाकर चला गया। जलालशाह लोदी-जीवाद सन् ९२३ (मंगमर मुदी संवन् १५७३) को सिकंदर मरा और जलालशाहका माई इब्राहीमगाह दिली तस्तपर बैठा, उसने जलालशाहको निकालकर जोनपुर दरियावां लोहानीको दे दिया। ९दरियाखालोहानी के समय वावर बादशाहने मुलतान उमा होमको मारकर दिही लेली । उसी समय दरियाखां भी मर गया। १० यहादुरशाह (दरियावांका पेटा)-यापके पीछ बादशाह हो गया। क्योंकि पटानों की बादशाही दिली जाती रही थी। चावर यादगाहने से शाहजादे तुमायूको भेजा, उसने वहादुरशाहको निकालकर हिंदूचे गको जोनपुरमें रख दिया। उसके पीछे वायायेग उसका बेटा जोनपुरमें हाकिम हुआ। ११ वावावेगको, शेरखांसूरने, हुमायूं बादशाहने वादग्राही लेने के पीछे जोनपुरसे निकाल दिया और अपने बेटे आदिलखांफो जोनपु. रका हाकिम बनाया। १२ आदिलखांसुर-२ रवीउल अव्वल सन् १५२ (जेठ गुदी १४ मोसंवत् १६०२) को शेरशाहके मरनेपर सलीमशाह तातपर पंडा, उगने - आदिलशने युलाकर क्यानेका किला दे दिया और जोनपुर साल कर लिया। फिर जोनपुर खतन राज्य नहीं हुआ, पटानो के. पीठे मुगलो राज्यमें भी यहां हारिन रहते रहे। वह जोनपुरका संक्षिप्त इतिहास है। जिन्होंने इति न देगा tuti.stotstantrt-t-t.ttituttitutet-tentitrrtist:
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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