SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 268
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir २४८ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । अर्थ-आहारकका उत्कृष्ट काल सूच्यंगुलके असंख्यातमें भागप्रमाण है। कार्मण शरीरमें अनाहारका उत्कृष्ट काल तीन समयका है, और जघन्य काल एक समयका है । तथा आहारका जघन्य काल तीन समय कम श्वासके अठारहमे भाग प्रमाण है, क्योंकि विग्रहगतिसम्बन्धी तीन समयोंके घटाने पर क्षुद्र भवका काल इतना ही अवशेष रहता है। आहारमार्गणासम्बन्धी जीवोंकी संख्याको बताते हैं। कम्मइयकायजोगी होदि अणाहारयाण परिमाणं । तविरहिदसंसारो सबो आहारपरिमाणं ॥ ६७० ॥ कार्मणकाययोगी भवति अनाहारकाणां परिमाणम् । तद्विरहितसंसारी सर्व आहारपरिमाणम् ।। ६७० ॥ अर्थ-कार्मणकाययोगी जीवोंका जितना प्रमाण है उतना ही अनाहारक जीवोंका प्रमाण है । और संसारी जीवराशिमेंसे कार्मणकाययोगी जीवोंका प्रमाण घटाने पर जो शेष रहे उतना ही आहारक जीवोंका प्रमाण है। ॥ इति आहारमार्गणाधिकारः॥ क्रमप्राप्त उपयोगाधिकारका वर्णन करते हैं । वत्थुणिमित्तं भावो जादो जीवस्स जो दु उवजोगो । सो दुविहो णायबो सायारो चेव णायारो ॥ ६७१ ॥ वस्तुनिमित्तं भावो जातो जीवस्य यस्तूपयोगः । स द्विविधो ज्ञातव्यः साकारश्चैवानाकारः ॥ ६७१ ॥ अर्थ-जीवका जो भाव वस्तुको (ज्ञेयको ) ग्रहण करनेकेलिये प्रवृत्त होता है उसको उपयोग कहते हैं । इसके दो भेद हैं एक साकार ( सविकल्प ) दूसरा निराकार ( निर्विकल्प)। दोनोंप्रकारके उपयोगोंके उत्तरभेदोंको बताते हुए यह उपयोग जीवका लक्षण है यह बताते हैं । णाणं पंचविहंपि य अण्णाणतियं च सागरुवजोगो। चदुदंसणमणगारो सवे तल्लक्खणा जीवा ॥ ६७२ ॥ ज्ञानं पंचविधमपि च अज्ञानत्रिकं च साकारोपयोगः । चतुर्दर्शनमनाकारः सर्वे तल्लक्षणा जीवाः ॥ ६७२ ॥ अर्थ-पांच प्रकारका सम्यग्ज्ञान और तीन प्रकारका अज्ञान ये साकार उपयोग है। चार प्रकारका दर्शन अनाकार उपयोग है । यह उपयोग ही सम्पूर्ण जीवोंका लक्षण है। For Private And Personal
SR No.010692
Book TitleGommatsara Jivakand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchandra Jain
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1916
Total Pages305
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy