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________________ संस्कृतटीका-हिन्दी-गुर्जरभाषान्तरसहिता । मृत्युका भय नहीं हो सकता, और साधकके संशय शल्योंका नाश हो जाता है। इसीको समझनेके लिये कहा जाता है कि शंकरका तीसरा नेत्र उघड आता है । तब संशय शल्यरूप विश्वका प्रलय हो जाता है। त्रिकुटीमें बिन्दु दर्शन होनेपर साधक ज्यों-ज्यों विशेष प्रयास करता है त्यों-त्यों वह बिन्दु विशेष प्रकाशित होने लगता है, और अन्तमें साधक उस विन्दुर्मे इतना विलीन हो जाता है कि उस शान्तिमें उसे नादका अनुभव होने लगता है। तव विन्दुकी अपेक्षा नादमें विशेष आनन्द आनेसे बिन्दु गौण होने लगजाता है, और नाद' विशेषातिविशेष श्रवणगोचर होता है। नाद भी अनेक तरहका सुनाई पडने लगता है, और वह चक्की, सितार, सरंगी और नौबतखानेसे भी अधिक और उत्कृष्ट होता है। मेघकी गर्जनासे भी अधिक गर्जना सुनाई देने लगती है। अन्तमें दिव्य नादका अनुभव होनेपर साधक उस नादमें अत्यधिक लीन हो जाता है । इस ध्वनिका अनुभव इतना अधिक बढ जाता है कि साधककी हिलने, चलने, उठने, बैठने आदिकी क्रियाओंमें भी नादका अनुसन्धान रहा करता है। नादके अनुभवसे ही जगमें संगीतका प्रचार योगी लोकोंने किया है। जिस प्रकार नाद साधकको प्रिय है उसी भाति जगत्कोभी सगीत प्रिय है। अतः सगीत (गुणगान) द्वारा मनको एकाग्र बनाकर साधकजन आगे बढ सकते हैं। वास्तवमें संगीत वाह्य नाद हो गया है, और इस वाह्य नाद द्वारा अभ्यन्तर नादको मिलाकर पाया जा सकता है। साधक जव नादमें और भी आगे वडता है, तब उसको नादका अनुभव जहा होता है वह भ्रमर गुफाके ऊपर शंकुके आकारकी एक पोली प्रतीत होगी, और उस पोलके शिखरपर एक महान् प्रकाशवाले पदार्थका अनुभव होगा। यह प्रकाशमान पदार्थ गोलाकार और उलटे छत्रके आकारकी तरहका जान पडेगा। यह छत्राकार सहस्र दल कमल सिद्धशिला रूप अजरामर चक्र शिरके अग्रभागमें—लोकके अग्रभागपर है। इस अजरामर चक्रमें वृत्तिके विलीन होनेपर साधकको अखण्ड अलौकिकमय आनन्दका अनुभव वर्धमान रूप होता है। वह आनन्द वढता भी इतना अधिक है कि साधक योगी उसमें एकदम लीन हो जाता है, और अलौकिक आनन्दका अनुभव अपने उस समस्त शरीरमें प्राप्त करता है अर्थात् खयं जो आनन्दरूप है उस अलौकिक आनन्द स्वरूपको स्वयं सर्वाङ्ग अनुभव करने
SR No.010691
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshemchandra Shravak
PublisherMahavir Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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