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________________ - - - - - -- - संस्कृतटीका-हिन्दी-गुर्जरभाषान्तरसहिता २२५ NEET पर ना रात्रि भोजन करीले छे तेओ भूतप्रेतनी संगतिने छोडी शकता नथी।" है। जेमणे यम नियम संयमनी क्रियाओनो त्याग करी दीधो छ भने रात ___ दिवस खावा पीवामांज मस्त रहे छे, तेमने बुद्धिमानो शींगडा के पूछ वगरना जनावर तेमज खरी वगरना पशुओनी उपमा भर्प छ ।” "सस्कारी विद्वानो सुख मेळववा माटे दिवसे भोजन करे छे, राने सुई जाय छे, ज्ञानी पुरुष समय विचारी वोले छे, तेमज आत्मानी शान्ति माटे गुरुजननी सत्सगतिसत्शास्त्र श्रवण-मनन-निदिध्यासन विगेरे समाचरीने सेवा चाकरी करे छे ।" "गुणवान् तेमज उत्तम पुरुष हमेशां दिवसमा एकज वार भोजन करे छे, मध्यम पुरुष धोळा दिवसमां वे वखत आहार करे छे, अने जे दिवस अने रात हमेशां भोजन कर्या करे छे ते नराधम छे ।" "जे पुरुष दिवसनी पहेली तमज छेल्ली घडी छोडी वच्चना दिवसना भागमा भोजन करे छे ते इन्द्रियोना घोडाने जीती ससार ना भारथी हलको थई जाय छे ।" "जे पुरुष पोतानी पासे दीवो राखीने रात्रे भोजन करे छे, ते पुरुष कुदरती रीते नीचाण तरफ वहेनारी 'नदी ना नीरने जाणे वृक्षना शिखर सुधी पहोचाडवा चाहतो होयनी ? ( अर्थात् नदीनुं पाणी वहेतुं वहेतुं कदी पण वृक्षना शिखरे पहोंची शकतु नथी तेम तेवा पुरुषनो आत्मा अधोगति सिवाय उच्चगतिने प्राप्त करी शकतो नथी)जे रात्रि भोजनने मुखदायक जीवन माने छे, ते आगथी वळेल वनने फळदायक माने छे, परन्तु तेम वनवू असंभवित छे ।" "जे दिवस तेमज रात्रिना भोजनने समान गणे छे, तेओ सुख तेमज दु खना देनार प्रकाश तेमज अन्धकारने समान गणे छे।" "जेओ रात्रिभोजनमाज धर्म माने छे तेओ खरेखर वृक्षोनी हारमाळा वधारवा माटे वज्र तेमज आग फेंकी रह्या छे, (वृक्षोनी हारमाळा वधारवा माटे जळ सिंचननी जरूर छे तेने बदले वज्र प्रहार या अग्नि कोई फैके ते वृक्ष वधवाने बदले जेम नाश पामे छे, तेमज रात्रि भोजनथी धर्म वधवाने वदले नाश पामे) "जेओ पुण्यनी अभिलापाथी माखो दिवस भूख्या रहे छे, अने राने खावामाज मच्या रहे छ तेओ फळेला वृक्षोने तेमज लताओने कापी नाखी फरीथी फळवानी वांछना करे छे एम समजबुं । जे मनुष्यो वे घही दिवस चख्या सुधी नवकारसी तप करे छे, अने वे घडी दिवस वाकी होय त्यारे चौविहार करे छे तेओ मासमा वीर. १५
SR No.010691
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshemchandra Shravak
PublisherMahavir Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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