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________________ २० मैं कुछ लिख सकता हूँ तब उसने और उसकी मित्रमंडलीने एक नवीन मासिकपत्र निकाला । उसका नाम रक्खा गया 'वेस्ट मिनिस्टर रिव्यू ।' कुछ दिनों तक उसे बेन्थामने अपने निजके खर्च से चलाया उसका सम्पादन करनेके लिये बेन्थामने मिलके पितासे बहुत आग्रह किया, परन्तु वह इस कार्य के लिये तयार न हुआ । तो भी उसमें वह अपने लेख देता था और उसकी लेखनी से ही उक्त पत्रकी बहुत ख्याति हुई । आस्टन, ग्रोट आदि विद्वान् भी उसमें लिखते थे, परन्तु मिलके बराबर कोई न लिखता था । वह उसमें सबसे अधिक लेख लिखता था । यद्यपि 'वेष्ट मिनिस्टर रिव्यू' की आर्थिक अवस्था कभी अच्छी नहीं हुई, तो भी बेन्थाम के उपयुक्ततातत्त्वसम्बन्धी मतोंको फैलानेमें और पुराने मासिक, त्रैमासिक पत्रोंकी भूलें दिखलानेमें उसने खूब सफलता प्राप्त की । उस समय माल्थस नामके एक प्रसिद्ध ग्रन्थकारने प्रजावृद्धिके विषय में एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त प्रकाशित किया था । उसका प्रतिपादन भी कुछ दिनों पीछे वेस्ट मिनिस्टर रिव्यूमें होने लगा और हर्टले नामक प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ताके आत्मशास्त्रसम्बन्धी विचार भी उसमें प्रका शित होने लगे । यद्यपि उसे बेन्थामने जारी किया था और उसके बहुत से लेखक भी उसके शिष्य या अनुयायी थे तथापि उसके द्वारा केवल उसीके मतका प्रचार न होता था । उसके मतके सिवा निम्नलिखित विषयोंका भी उसमें जोरो शोरसे प्रतिपादन होता था :-- १ राजकीय - प्रतिनिधिसत्ताक - राज्यव्यवस्था और पूर्ण विचारस्वातन्त्र्य प्राप्त करनेमें ही मनुष्य जातिका कल्याण है । २ सामाजिक- विवाह - सम्बन्धसे स्त्रीजाति पुरुषोंकी गुलाम हो गई है। इस स्थितिको सुधारना चाहिये ।
SR No.010689
Book TitleJohn Stuart Mil Jivan Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages84
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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