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________________ नमस्कार मंत्र का प्रभाव १७ में ले जाकर कहा-देखो-हमें यह मन्त्र एक जैन साधु से मिला है । मन्त्र देने से पूर्व उन्होंने मांस-मदिरा के खान-पान का त्याग कराया और कहा कि इसके प्रयोग से धन कमाने की भी भावना मत रखना । उसके पश्चात् उन्होंने मुझे यह मन्त्र दिया। ऐसा कहकर उस फकीर ने णमोकार मन्त्र सुना दिया और कहा कि इसके द्वारा मैंने आज तक अनेकों का विव दूर किया है। णमोकार मन्त्र को सुनते ही वे जैनी भाई वोल उठे-फकीर बावा, यह मन्त्र तो हमारे घर के छोटे-छोटे बच्चे तक जानते हैं। उनकी वात सुनकर फकीर वोला-भाई, जब आपकी इस पर श्रद्धा नहीं हैं, तभी आपको इससे लाभ नहीं मिलता है। यही हाल आप सब लोगों का है कि इस महामन्त्र को प्रति दिन जपते हुए भी आप लोग उसके लाभ से वंचित रह रहे हैं । एका सम्यक्त्वी भाई ने अपनी लड़की की गादी एक मिथ्यात्वी के घर कर दी। घरवाले सभी पक्के मिथ्यात्वी और जैन धर्म के द्वापी थे । अतः इस लड़की के वहां जाने पर और उसके जैन आचार-विचार देखने पर उसकी निन्दा करना प्रारम्भ कर दिया। उस लड़की की सास, ननद और जिंठानियों ने उसके धनी को भड़काना प्रारम्भ कर दिया। वे सब उससे कहने लगी तू स्त्री का गुलाम बन गया है, जो उससे कुछ कहता नहीं है। बार-बार घरवालों की प्रेरणा पर उसने अपनी स्त्री को मार डालने का निश्चय किया। उसने सोचा कि अन्य उपाय से मारने पर तो भंडाफोड़ हो जायगा । अत: किसी ऐसे उपाय से मारना चाहिए कि जिससे बदनामी भी न उठानी पड़े और काम भी वन जावे। एक दिन जब कोई मनुष्य सांप को घड़े में पकड़ कर जंगल में छोड़ने के लिए जा रहा था, तब इसकी उससे भेट हो गई और उसे कुछ रुपये देकर बह सांप रखे घड़े को घर ले आया। रात के समय उसने अपनी स्त्री से कहा---मैं तेरे लिए एक सुन्दर फूलों की माला लाया हूं। उस घड़े में रखी है, उसे निकाल कर ले आ। मैं तुझे अपने हाथों से पहिनाऊंगा । वह स्त्री पक्की सम्यक्त्वी थी और हर समय णमोकार मंत्र को जपती रहती थी। अत: उसने नि:शंक होकर घड़े में हाथ डाला । उसके मंत्र-स्मरण के प्राभव से वह सांप एक सुन्दर पंचरंगी पुष्पमाला के रूप में परिणत हो गया। जब वह माला लेकर अपने पति के सामने गई तो वह सांप को फूलमाला के रूप में देखकर अति विस्मित हुआ। उसने अपनी मां, बहिन और भौजाई आदि को बुलाकर कहा-देखो, मैं आप लोगों के कहने से उसे मारने के लिए एक काला सांप घड़े में रख कर लाया था और उसे निकाल कर लाने को कहा । वह गई और णमोकार मंत्र को जपते हुए घड़े में हाथ डालकर निकाला, तो वह फूलमाला
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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