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________________ प्रवचन-सुधा एक क्षण मात्र में सहज ही में क्षय कर देता है। ज्ञान की महिमा बताते हुए और भी कहा है---- जे पूरव शिव गये, जांहि, अरु आगे हैं; ___ सो सब महिमा ज्ञान तनी मुनिनाथ कहैं ।। पूर्वकाल में जितने जीव मोक्ष गये हैं, वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र से जा रहे हैं, और आगे जावेगे, सो यह सव ज्ञान की ही महिमा है, इसलिए हमें सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति के लिए सदा उद्यम करते रहना चाहिए। यह ज्ञान पंचमी उक्त पांचों ज्ञानों की प्राप्ति के अपने लक्ष्य को स्मरण कराने के लिए ही प्रति वर्ष आती है और पंचमी की तिथि को इसीलिए पर्व माना गया है। ज्ञान की शोभा-विनय वन्धुओ, जैसे मनुष्य की शोभा स्वच्छ और पदोचित वस्त्र पहिरने से है। उसी प्रकार आत्मा को शोभा निर्मल जान से है। निर्मल ज्ञान की प्राप्ति ज्ञान ओर ज्ञानी की विनयपूर्वक आराधना से होती है। यही कारण है कि भगवान ने अपने अन्तिमकालीन उपदेशों में अर्थात् उत्तराध्ययन में सर्वप्रथम विनय का उपदेश दिया है। वहां बताया गया है कि सर्वप्रकार के दुर्भावों को दूर करके सद्भाव पूर्वक गुरु की आज्ञा का पालन करे, गुरु से नीचे बैठे, उनकी बात का उत्तर आसन पर बैठे या लेटे हुए न देवे, किन्तु उठकर, सामने जाकर और हाथ जोड़कर देवे। इसी प्रकार विनयपूर्वक ही किसी बात को पूछे। क्योकि नान और ज्ञानी की आसातना या विराधना करने से दर्शन और चारित्र की विराधना होती है । अज्ञानी और ज्ञान-विराधक के वैराग्य ठहरता ही नहीं है शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। जैसा कि कहा है अभ्रच्छाया खलप्रीतिः, पराधीनेषु वा सुखम् । अज्ञानिनां च वैराग्यं, क्षिप्रमेव विनश्यति ।। भाई, मेघ की छाया का कोई पाया नहीं है। उसे मिटते देर नहीं लगती है। दुर्जन पुरुपों की प्रीति और दोस्ती कितने दिन निभती है ? जरा सा भी प्रतिकूल कारण मिलते ही मिट जाती है । पराधीनता में कभी सुख नहीं है और जैसे घास-फूस की आग बुझते देर नहीं लगती है, उसी प्रकार अज्ञानी पुरुपों का वैराग्य भी शीघ्र ही विनष्ट हो जाता है । इसीलिए भगवान ने कहा है कि 'परमं नाणं तओ दया' पहिले ज्ञान उपार्जन करो, तभी दया और संयम की विधिवत् प्रतिपालना की जा सकती है।
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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