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________________ ११२ प्रवचन-सुधा किसी ने धन्नाजी के समान यह कहा है कि मैं घरवालों की आज्ञा लेकर संयम ग्रहण करूंगा ? आप कहेंगे कि हम क्या, हमारे पड़ोसी भी नहीं कहते हैं। धन्नाजी की बात सुनकर भगवान ने कहा- जहा मुहं देवाणप्पिया, मा पडिबंध करेह' जैसा तुमको सुख हो, आनन्द हो और जो मार्ग तुमको अच्छा दीखे, वैसा करो। भाइयो, देखो-- भगवान ने पहिले तो कह दिया कि तुमको जैसा सुख हो, वैसा करो । परन्तु पीछे से कह दिया कि 'मा पडिबंध करेह' अर्थात् हे धन्ना, उत्तम काम में प्रमाद मत करो । भगवान ने इधर द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव को भी साध लिया और उधर प्रेरणा भी दे दी । भाई स्याद्वाद का मार्ग तो यही है । भगवान के वचन सुनकर धन्नाजी को बड़ी खुशी हई। उनके आनन्द की सीमा नही रही । वे सोचने लगे कि आज मेरे लिए कितना सुन्दर समय माया है । ऐसा सुअवसर तो आज तक कभी नहीं आया है । वे भगवान को 'मत्थएण वदामि' करके जैसे आये थे, उससे लाखों गुणित हर्ष के साथ घर को चल दिये। उस समय उनके मनमें अपार आनन्द हिलोरें ले रहा था। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो मैंने संसार-समुद्र को पार ही कर लिया है। वापिस जाते समय तक धूप तेज हो गई थी और भूमि तप गई थी । जव बे दाजार मे होकर नंगे पैर जा रहे थे, तब लोग बोले--सेठ साहब, धूप से आपका शरीर और पैर जल रहे हैं, तब उन्होंने कहा----भाई, मेरा कुछ नही जल रहा है। धन्नाजी सीधे घर पहुंचे और माता को नमस्कार किया। माता ने कहा-प्रिय पुत्र, आज तो तेरे चेहरे पर बहुत प्रसन्नता दीख रही है ? वेटा, आज आनन्द की ऐसी क्या बात है ? धन्नाजी बोले --माताजी, आज मैंने शगवान के दर्शन किये हैं, आज मेरे नेत्र सफल हो गये है, भगवान का उपदेश सुनकर मेरे कान पवित्र हो गये हैं, उनके चरण-वन्दन करके मेरा मस्तक पवित्र हो गया है 1 है माला, अब तो मैं भगवान की सेवामें ही रहना चाहता हूं। अब मैं इस दुःखों से भरे ससार में नहीं रहना चाहता हूं। यह सुनते ही माता के ऊपर क्या बीती ? 'वज्रपात-सम लागियो सरे धरणी परी मुरझाय' बुड्ढे है, उनके जीवन का बीमा करीब-करीब समाप्त हो चुका है। परन्तु मां की ममता धनी मे, बेटे-बेटी में है, घरवार 4 और धन-धाम में लग रही
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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