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________________ -~- rrrrrrrrrrr .rar xxxmammi • श्रीमद्विजयानंदसूरि कृत-- ५॥ जज प्रतु पास देवनके देवा, आतम अविचल मायाहे रे ॥ थो ॥३॥ स्तवन त्रीशमुं। ॥ राग ।। पालना गडब्यारे वढश्या, ए देशी ॥ पालने जिन पास पोढश्या ॥ टेक ॥ , सुरपति मिल सब देत हलोरी, हरषी वामादेवी मश्या ॥ पा० ॥१॥ इंशाणी मिल मंगल गावे, नाच करे तात अश्या ॥ पा ॥२॥ तुं मेरा लाला जग सब व्हाला, फिर फिर मुख मटकश्या ॥ पा० ॥ ॥ आतम कल्पतरु जग प्रगट्यो, दीग आनंद लश्या । पा ॥४॥ स्तवन एकत्रीशमुं। ॥राग मराठी ॥ अहन पदको लजके चेतन, निज स्वरूपमें रम रहीये, तुम अकल सरूपी, डोमके परगुन निज सत्ता लहीये ॥ अ॥१॥ दानेद अजर अविनाशी, रूप रंग विना तुम कहीये, निज रंग रंगीला, डोमके लीला निज गुनमें रहीये ॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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