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________________ श्रीमद्विजयानंदसूरि कृतबमा सखीरी ॥ वा० ॥ ६ ॥ रेवताचल मेमन मुख खंगन, महेर करो जिनरारी ॥ मुझ घट आनद मंगल करतो, हुं पिण आतमरा सखीरी ॥ वा ॥७॥ स्वतन पांचमुं। ॥ राग केरबा ॥ मगर बतादे पूजारीया, में तो नेटुं नेमि जिनंद, मगर ॥ टेक ॥ प्रथम टुक प्रजु जिनजी विराजे, राजे सुरतरुकंद ॥ म॥१॥ सहस्त्रावन प्रजु चरण विराजे, नेटीये परम आनंद ॥ ॥२॥ ऊंची विखमी पंचमी ढूंके, काटे कमका फंद ॥ म० ॥३॥ अवर ढूंक पर चरण सुहंकर, पूजो आतमचंद ॥ म० ॥४॥ स्तवन बटुं। ॥ राग ठुमरी ॥ • चलो सजनी जिन वंदनको, गिरनारी नेमि सामरीया टेक ॥ उंचेरे गढपर प्रजुजी बिराजे, दरस करत चवजल तरीया ॥ च ॥ १॥ स्याम वरण तनु
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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