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________________ स्तवनावली। जविजन मोहे, शांति रूप तन मन ठरीया ॥०॥ ॥ आतम आनंद मंगल मूरती, सूरति जिन हिरदे धरीया ॥ च ॥३॥ स्तवन सातमुं। ॥ राग ध्रुपद ।। आई इंश नार कर कर शृंगार ॥ चाल ॥ तुम मदन जार, निजरूप धार, गिरवर सधार, मन काम बार, सुन पशु पूकार, जग सब तज दीनो ॥ तुम ॥१॥ तुम दयावान, सब गुण निधान, मैं धरूं ध्यान, तुम चरन आन, सब गत निधान, तुम नाम नगीनो ॥ तुम ॥२॥ सुर इंद चंद नर इंद वंद, तुम दरस नयन मुक सुख आनंद,आतम आनंद, चरनन चित्त दीनो॥ तुम ॥३॥ स्तवन आठमुं। ॥ राग मराठी ॥ नेमि निरंजन नाथ हमारे मंजन मदन रदन कहीये ॥ जिन राजुल त्यागी रूपमें रंना जगमें ना लहिये ॥ ने ॥ १॥ अवर देव वामा वस कीने जीने कामरसे गहीये ॥ तूं अदनुत
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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