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________________ ६१३] [६१०] * अह सु विहिउ पंचास विइ मुणिरु ता निसुण मिउ- महर - सणतुकुमारचरिउ जह - जय पणय-मणिच्छियरि कमल - गन्भ-गोरंगि । रिउ नासण - सव्वंगि ॥ न मिरामर - नर-नायगहं [६११] हूं खुदुरियहं हरणि ओं ह्रीं हि जत्थ सउ तत्थ सणिउ सणिउ धवलहरि पविसह । रविण लविर तिय इग महासर || संपाइय-इ-फलि फट्कारिण हणिय-रिउजे तुह भत्तिहिं पय नमहिं खग्ग-गुलिय- अंजणु साहणि सेणि पणय - आनंद- कारिणि जोगेसरि तुहुं तेसि | fare अगोरु सिविहं वि फलु असरिसु वियरेसि ॥ चिंतामणि देवि मह [६१२] इय पसीयसि किं न पण इ-यण तसु दइयह मुह-कमलनियय-अवत्थ सम-गुणहं किं जुज्जर अंतर- करणु हिययंतर उल्लसिय हुं हुं एस विक वितरुणि मग्गइ गोरिहि पय- पुरउ अइ-दुल्लभउको विउ गरुय-विषय-पणमंत- अंगह | दंसणेण दुल्लंभ-संगह ॥ निच्चु वि विणय-पराहं । निय-जणणी-जणयाहं ॥ [६१३] अह विसेसिण कुमरु सुमरंतु पुत्र- दिट्ठ हरिणच्छि सु-चरिय । फुरिय-गरुय अणुराय - विहरिय || पत्त दसम - दस- काल | एहि मई व सावाल ॥ ४३ * The text of stanzas 610 611, 612, 613, 614, 615, and 616 in क is mostly blurred and illegible.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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