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________________ नेमिनाहचरिउ । [६०६] इय कुमारह विगय-नीसेसघर-परियण-पिययमह . सुद्ध-धरणि-तल-संनिसन्नह । अवियक्किय झुणि सवणि पडिय एह गयण-यल-मग्गह ॥ हा सहि हा पिय हा जणणि हा भाविय-भत्तार । आससेण-नरवइ-तणय रक्खहि सणतुकुमार ॥ [६०७] .. तह -- सुलोयणि किमिह तारण कि जणणिहि किं सहिहिं किंव नियय-देवय-विसेसिण। । कि व तिण महि-गोयरिण आससेण-निव-सुय-कुपुरिसिण ॥ तियसासुर-नर-मय-महणु . . मई सुमरसु पसयच्छि । कामाउर-मण जेण तुह तत्ति करावइ लच्छि ॥. [६०८] तयणु पाविण केण परिकुवियजमदयालोइएण . दसण-गणण-उच्छहिय-चित्तिण । परिखित्तउ नियय-करु चयणि सीह-पोयह कु-मंतिण ।। अवहरमाणिण किं पि एहु मह अणुरत्तु कलत्तु। . . कुमरु पलोयइ नह-यलह संमुहु इय चिंतंतु ॥ [६०९] किंतु न नियइ कि पि गयण-यलि ता - एहु वि पुन्बु जिम्ब इंदियालु किंचि वि मुणंतउ । ढंदुल्लइ जाव वणि स ज्जि तरुणि हियइण वहंतउ ॥ ता सुर-भवणह निवडिउ व महरिह-सिरि-अवतारु । इगु धवलहरु महाडइर्हि नियइ तिलोयह सारु ॥ ६०६. ७. and रक्सहि in ८ lost in क. ८. जो ण, ६०८. ३. क. गगण.'
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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