SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४ नेमिनाहचरितः। १४ अगाम्म इयः विचिंतिरु जाव अग्गम्मि चउ पंच वि पय खिवइ कुमरु ताव सुह-सील-मुद्धह । जय-पायड-गुण-गणह पुरउ सु-गुरु-भत्तीए सुद्धह ॥ गोरिहिं देविहिं भणिउ इहु पयडेविणु अप्पाणु । एहु ससि-मुहि पिउ आइयड सो तुह गुणहं निहाणु ॥ [६१५] सावमाण व तयणु तणुयंगि जंपेइ गोरिहि पुरउ अजु वि देवि कैत्तिउ पयारसि । कर-संठिउ साहिउण मज्झ दइउ जं नेय पयडसि ॥ जइ पुणु कुरु-कुल-गयण-ससि पेक्खळ सणतुकुमारु। ता जाणहि भगवइ करउं. कु-वि कु-वि तसु उवयारु ॥ इय सुणंतु वि हरिस-वियसंतसव्वंग-पुलयंकुरिय- वयण-कमलु कुरु-वंस-मंडणु । एहु ससि-मुहि निय-दइउ पेक्खि पेक्खि पडिवक्ख-खंडणु॥ कुणमु सु मणिण जि कप्पियउ चिट्टइ तमु उवयारु । जं एहु इउं जि मु आइयउ पयडिय-मयण-वियारु ॥ [६१७] अहव साहमु पसिय तुहूं कवण कुरु-वंसह जस-कलसु को व मुयणु. पई दइउ मग्गिउ । ता कन्नय भणइ अणुसरिवि लज्ज अज्जवु निसग्गिउ ॥ जह साकेय-पुराहिवह समरसीह-निवइस्सु । अवितह-स्वह चंद-जस- अभिहाणह दइयस्सु ॥ ६१५. ९. क. नुहं.
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy