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________________ पाणिनि और व्यडि ये तीन वैयाकरण हैं। अतः इनके साथ स्मृत आचार्य गौतम भी वैयाकरण प्रतीत होता है इसकी पुष्टि तैत्तिरीय प्रातिशास्य और मैत्रायणी प्रातिशास्य से होती है इसमें आचार्य गौतम के मत उदधत हैं । आचार्य व्यडि का नामोल्लेख पाणिनीय सूत्र में नहीं है फिर भी आचार्य शौनक ने अप्रातिमाख्य में व्याडि के अनेक मत उधत किये हैं। महाभाष्य 6/2/36 में 'पिशलपाणिनीयव्याडीयगौतमीया:' प्रयोग मिलता है । इसमें प्रसिद्ध व्याकरण आपिशालि और पाणिनि के अन्तेवासियों के साथ व्याडि के अन्तवासियों का निर्देश है । शाकन्य और गार्ग्य का स्मरण पाणिनि ने अपने शब्दानुशासन में किया है । इससे स्पष्ट है कि व्याडि ने कोई शब्दानुशासन अवश्य रचा था । पाणिनीय अEcाध्यायी में स्मृत आचार्य पाणिनि ने अपने अष्टाध्यायी में दश प्राचीन व्याकरण प्रवक्ता आचार्यों का उल्लेख किया है वे वर्णानुक्रम से निम्नलिखित हैं - rपिशालि ___आचार्य आपिशन का उल्लेख पाणिनीय Ascाध्यायी के एक सूत्र में उपलब्ध होता है । महाभाष्य 4/2/45 में आपिशलि का मत प्रमाण रूप में उदात किया है वामन, न्यासकार, जिनेन्द्र बुनि, कैयः तथा मेयरक्षित आदि प्राचीन ग्रन्धकारों ने अपिल व्याकरण के अनेक सूत्र उदधृत किये हैं। पाणिनि के स्वीय शिक्षा के अन्तिम
SR No.010682
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrita Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1992
Total Pages232
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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