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________________ विचित्र स्वयंवर। परन्तु अभीतक आपका विवाह नहीं हुआ। आप शक्तिकी पूजा करते हैं। रंग आपका काला है; परंतु आप समझते हैं कि काला होने पर भी मैं सुन्दर हूं। शरीरकी सजावट पर और कपड़े-लत्तों पर आपका बहुत ध्यान रहता है । गुपचुप हँसना, चोरी करके सिरजोरी करना, बातोंमें जमीन और आसमानके कुलाब मिला देना, आदि आपके स्वभावसिद्ध गुण हैं । राज्यमें आप एक पराक्रमी वीर समझे जाते हैं और धन दौलत भी सब आपके हाथ रहती है, इसीलिए लोग आपको सेनापति और मन्त्रीकी अपेक्षा भी अधिक मानते हैं। आप राजकुमारी मन्द्राके सिवा और किसीको नहीं डरते । क्योंकि आपकी शक्ति, बुद्धि, चालाकी आदि सब ही उसके सामने व्यर्थ हो जाती है। लाला किशनप्रसाद देवदत्तके पड़ौसहीमें रहते हैं। सत्यवतीका अपूर्व रूप और विमल चरित्र देखकर आपका मन आपके हाथमें नहीं रहा है । किन्तु जिसके कुल और शीलका कुछ पता नहीं, ऐसी युवतीके साथ विवाह करना कुलीनोंकी प्रतिष्ठाके विरुद्ध है, यह सोचकर आपने अन्तमें यह निश्चय किया है कि किसी तरहसे सत्यवतीको हरण करके उसके साथ गान्धर्व विवाह कर लूं। __ लालासाहबने बड़ी मुश्किलसे सत्यवतीके हृदयमें एक शरत्कालके बादलके टुकड़ेकी सृष्टि कर पाई है । सत्यवती सोचती होगी कि किशनप्रसाद मुझे चाहते हैं । जब आपने उसका यह अभिप्राय समझनेकी कीशिश की, तब आपके चित्त पर एक आशाकी रेखा खिंच गई। थोड़े दिनोंमें यही रेखा एक प्रकारके आन्दोलनसे सारे हृदयमें व्याप्त होगई और फिर वह इतनी प्रबल हो गई कि कुछ दिन पहले जब आपने एकबार सत्यवतीको अकेली पाया, तब आप अपने निःस्वार्थ और हताश प्रेमका परिचय देकर रोनेतक लगे! बोले कि “यदि मेरा तुम्हारे साथ विवाह न होगा, तो मैं इस संसारको छोड़कर किसी अज्ञात तीर्थ पर जाकर मर जाऊंगा और मरके भूत होऊंगा।" इस भूतकी भीतिसे और करुणासे अभिभूत होकर उस दिन सत्यवतीने कह दिया कि, “अच्छा आप यह बात पिताजीसे कहना ।" __लालासाहब अपने मनोरथके सिद्ध होनेकी आशासे आजकल खूब बन ठनके रहते हैं, परन्तु इतनेमें बीचहीमें बखेडा खड़ा होगया। उन्होंने देखा कि बखेड़ेके सम्मुख बौद्ध भिक्षु और पीछे राजकुमारी मन्द्रा खड़ी है।
SR No.010681
Book TitleFulo ka Guccha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1918
Total Pages112
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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